Women Empowerment in India: महिला सशक्तिकरण पर वर्ल्ड बैंक की हालिया रिपोर्ट में हैरान कर देने वाले खुलासे हुए हैं. यह रिपोर्ट बताती है कि महिलाओं को किसी भी देश में बराबरी के हक नहीं मिल रहे हैं. उन्हें काम के मौके भी पुरुषों के बराबर नहीं मिल पा रहे हैं. लगभग हर देश में उनके कानूनी अधिकार भी पुरुषों के जैसे नहीं हैं. यहां तक की उन्हें विकसित देशों में भी बराबरी के मौके नहीं मिल पा रहे हैं.


पूरी दुनिया में फैला है जेंडर गैप


वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट (World Bank Report) के अनुसार, पूरी दुनिया में जेंडर गैप फैला हुआ है. दुनिया की आर्थिक शक्तियां भी यह भेदभाव करने में पीछे नहीं हैं. उन्हें न पर्याप्त कानूनी अधिकार मिल रहे हैं और न ही काम करने के समान मौके. रिपोर्ट के मुताबिक, यदि पुरुषों को एक डॉलर वेतन मिलती है तो उसी काम के महिलाओं को 77 सेंट ही दिए जाते हैं. यह भेदभाव महिलाओं के रिटायरमेंट तक जारी रहता है. कुल 62 देशों में महिलाओं और पुरुषों की रिटायरमेंट उम्र अलग-अलग है. 


सुविधाएं मिलें तो बढ़ जाती है महिला कर्मियों की संख्या  


वर्ल्ड बैंक के अनुसार, वर्कप्लेस पर हिंसा और चाइल्डकेयर सर्विस का न होना महिलाओं को नौकरियों से दूर कर देता है. यदि वर्कप्लेस पर उन्हें यह सुविधाएं मिलती हैं तो काम करने वाली महिलाओं का औसत बढ़ जाता है. इसी तरह 190 देशों में जेंडर गैप अभी भी है. कानूनी सुधारों और धरातल पर उनके नतीजे आना अभी बाकी है. महिलाओं को सैलरी, बेनिफिट और नौकरियां पुरुषों के बराबर नहीं मिल पा रही हैं. 


भारत 146 देशों में 127 वें पायदान पर


वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स 2023 में भारत को 146 देशों में 127 वें पायदान पर रखा है. भारत में लेबर इनकम का 82 फीसदी पुरुषों और 18 फीसदी महिलाओं को जाता है. एंट्री लेवल की नौकरियों में बराबर की काबिलियत होने के बावजूद महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कठिनाई से नौकरी मिलती है. कॉरपोरेट सेक्टर में बड़े पदों पर यह दिक्कत और ज्यादा हो जाती है. रिपोर्ट के अनुसार, 95 देशों ने समान काम की समान वेतन का नियम लागू किया हुआ है. हालांकि, सिर्फ 35 देशों ने ही इसे कायदे से लागू करने के प्रयास किए हैं.


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