Budget 2022: साल 2020 में आम बजट ( Union Budget) पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Finance Minister Nirmala Sitharaman) इनकम टैक्स स्लैब ( Income Tax Slab ) का एक नया टेबल ( New Table) और व्यवस्था ( Regime) लेकर आईं. इस नए टैक्स स्लैब व्यवस्था ( New Tax Regime) के मुताबिक यदि कोई टैक्सपेयर्स ( Taxpayers) टैक्स छूट ( Tax Benefit) या डिडिक्शन ( Deduction) का लाभ नहीं लेना चाहता है वो इस विकल्प को चून सकता है. 2020-21 के लिए टैक्सपेयर्स ने ( Taxpayers) जब इनकम टैक्स रिटर्न ( Income Tax Return) भरना शुरू किया तो पोर्टल पर पूछा जा रहा है कि वे पुराने टैक्स व्यवस्था ( Old Tax Regime) के तहत रिटर्न दाखिल करना चाहते हैं या नए टैक्स स्लैब व्यवस्था ( New Tax Regime) के नियम के तहत. 


पुरानी टैक्स व्यवस्था में निवेश पर टैक्स छूट का लाभ 
आपको बता तें पुराने इनकम टैक्स स्लैब की व्यवस्था ( Old Income Tax Slab Regime)में टैक्सपेयर्स ( Taxpayers) कई प्रकार के टैक्स छूट ( Tax Benefit) का लाभ ले लकता है. इनकम टैक्स ( Icome Tax) के सेक्शन 80सी ( Section 80C) के तहत बीमा ( Insurance), ईएलएसएस( ELSS), प्राविडेंट फंड( Provident Fund), पीपीएफ ( PPF) और बच्चों के ट्यूशन फीस ( Tution Fees) के साथ होमलोन के मूलधन ( Home Loan Principal) पर टैक्स छूट ( Tax Benefit) का लाभ ले सकते है. 2 लाख रुपये तक होमलोन के ब्याज ( Home Lona Interest Amount) पर भी टैक्स छूट का प्रावधान है. 50,000 रुपये के स्टैडर्ड डिडक्शन ( Standard Deduction) का भी लाभ मिलता है. 


नई टैक्स व्यवस्था में निवेश पर टैक्स छूट का लाभ नहीं 
लेकिन नए इनकम टैक्स स्लैब ( New Tax Regime) की व्यवस्था के मुताबिक टैक्सपेयर्स  ( Taxpayers) इस को किसी भी प्रकार के निवेश या होमलोन लेकर घर खरीदने पर टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता है. यहां तक कि 50,000 रुपये का स्टैडर्ड डिडक्शन ( Standard Deduction) का भी लाभ नहीं मिलता है. 


10% से भी कम टैक्सपेयर्स ने नई व्यवस्था को चूना 
हालांकि टैक्स मामलों से जुड़े जानकारों की मानें तो इनकम टैक्स रिटर्न भरने के दौरान उन्होंने पाया कि बहुत कम संख्या में टैक्सपेयर्स नई टैक्स व्यवस्था के विकल्प को चुन रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक 10 फीसदी से भी कम इनकम टैक्स रिटर्न ( Income Tax Return)भरने वाले टैक्सपेयर्स हैं जिन्होंने आयकर रिटर्न भरने के दौरान नई टैक्स व्यवस्था ( New Tax Regime) के विकल्प को चुना है. 


पुरानी टैक्स व्यवस्था है लोकप्रिय 
टैक्स मामलों से जुड़े जानकारों की मानें तो पुराने टैक्स व्यवस्था लोगों में इसलिए ज्यादा लोकप्रिय है क्योंकि उसमें निवेशकों को सोशल सिक्योरिटी स्कीमों ( Social Security Schemes) में निवेश के साथ टैक्स छूट का लाभ मिलता है. जबकि नई टैक्स व्यवस्था में अगर टैक्सपेयर्स निवेश भी करता है तो उसे टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता. टैक्स बचत वाले सेविंग स्कीम्स सोशल सिक्योरिटी के लिहाज से बेहद लोकप्रिय हैं. टैक्सपेयर्स ने लंबी अवधि के लिए उनमें निवेश की प्लानिंग की हुई है. साथ ही हर वर्ष उन्हें टैक्स छूट का लाभ भी मिलता है.
टैक्स के जानकार कहते हैं कि बीमा पॉलिसी ( Insurance Policy) और प्रॉविडेंट फंड ( Provident Fund) की आज लोगों को बेहद जरुरत है और टैक्सपेयर्स उसे छोड़ नहीं सकते. सरकार जब टैक्सपेयर्स के सोशल सिक्योरिटी ( Social Security)के लिए कुछ नहीं कर रही तो लोग इस टैक्स छूट के साथ निवेश की व्यवस्था को छोड़ नहीं सकते. 


सोशल सिक्योरिटी के लिए निवेश है जरुरी
उनका मानना है कि सरकार को खुद लोगों को ऐसे सोशल सिक्योरिटी ( Social Security Schemes) वाले स्कीम्स में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जिसपर टैक्स छूट ( Tax Benefit) का लाभ मिलता हो. सरकार को सोशल सिक्योरिटी  ( Social Security)में निवेश के विकल्प को त्याग कर टैक्स को कम करने जैसे ऑप्शन टैक्सपेयर्स को नहीं देना चाहिए. 


नई टैक्स व्यवस्था है अलोकप्रिय
नए इनकम टैक्स स्लैब की व्यवस्था में कोई टैक्स छूट या डिडक्शन का लाभ नहीं मिलने के चलते ये टैक्सपेयर्स के बीच बेहद अलोकप्रिय ( Less Attractive)है. जानकारों के मुताबिक 2019 में सरकार ने बिना टैक्स छूट या डिडक्शन के कॉरपोरेट्स के लिए कॉरपोरेट टैक्स को 30 फीसदी से घटाकर 22 फीसदी कर दिया. लेकिन नए इनकम टैक्स स्लैब के व्यवस्था में टैक्स छूट वाले निवेश का लाभ नहीं लेने के बावजूद 15 लाख रुपये से ज्यादा वालों पर 30 फीसदी इनकम टैक्स लगता है जो तर्कसंगत नहीं लगता है. यही वजह है कि सरकार से मांग की जा रही है नए टैक्स व्यवस्था में भी निवेश पर टैक्स छूट का लाभ के साथ डिडक्शन का फायदा टैक्सपेयर्स को जिया जाए जिससे नए इनकम टैक्स स्लैब की व्यवस्था पर टैक्सपेयर्स का भरोसा कायम हो सके. 


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