Small Car Demand Falls: स्कूटर या मोटरसाइकिल की सवारी करने का वालों का सपना होता है एंट्री लेवल छोटी कार खरीदना. लोगों की इसी दीवानगी को देखते हुए टाटा ने लखटकिया नैनो कार को लॉन्च किया था. हालांकि नैनो कार प्रोजेक्ट उतना सफल नहीं हुआ. लेकिन देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी की छोटी कारों के प्रति लोगों में गजब की दीवानगी हुआ करती थी. मारुति सुजुकी की छोटी कार के साथ देश का उभरता हुआ मध्यम वर्ग छोटी कार खरीदकर अपने सपने को पूरा करता था. एक दौर था जब देश में सबसे ज्यादा छोटी कारों की बिक्री हुआ करती थी लेकिन अब इसकी जगह एसयूवी ने ले ली है. 


क्यों घट गई छोटी कारों की सेल्स?  


पिछले कुछ सालों में रेग्यूलेटरी नियमों के साथ दूसरे कारणों के चलते हैचबैक यानि छोटी कारों की कीमतें तेजी के साथ बढ़ी है. जिससे इस सेगमेंट के कार खरीदने वालों की पर्चेजिंग कैपेसिटी (Puchasing Capacity) प्रभावित हुई है. मारुति सुजुकी जिसे छोटी कार बनाने के लिए जाना जाता है कंपनी के सेल्स और मार्केटिंग हेड पार्थो बनर्जी ने कहा, पैसेंजर व्हीकल (Passenger Vechicle) सेगमेंट में एसयूवी (SUV) गाड़ियों की हिस्सेदारी बढ़कर 53.6 फीसदी हो गई है और छोटी कारों की कुल सेल्स में हिस्सेदारी और भी घट गई है. पार्थो बनर्जी ने कहा, पिछले कुछ सालों में हैचबैक कारों की कीमतों में जोरदार बढ़ोतरी आई हैे जिससे बायर्स की उसे खरीद पाने की क्षमता पर असर पड़ा है. उन्होंने बताया कि सिक्योरिटी और एमीशन मानकों का पालन करने के चलते छोटी कारें महंगी हो गई है. लेकिन जो लोग छोटी कार खरीदते हैं उस सेगमेंट के लोगों की उस अनुपात में इनकम नहीं बढ़ी है.    


SUV ने ले ली छोटी कारों की जगह  


पहले के दौर में देश में छोटी कारों की डिमांड सबसे ज्यादा देखने को मिलती थी जिसकी जगह स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल यानि एसयूवी ने ले ली है. देश के पैसेंजर कारों के सेगमेंट में वित्त वर्ष 2017-18 में छोटी कारों की हिस्सेदारी 47.4 फीसदी हुआ करती थी. लेकिन इसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आई है और वित्त वर्ष 2023-24 में ये घटकर 30 फीसदी से भी कम केवल 27.7 फीसदी रह गई है. जो वित्त वर्ष 2022-23 में 34.4 फीसदी थी. वित्त वर्ष 2023-24 में जहां पैसेंजर व्हीकल इंडस्ट्री ने एसयूवी के जोरदार डिमांड के चलते 8.7 फीसदी का ग्रोथ दिखाया है. वहीं छोटी कारों के सेल्स में इस वित्त वर्ष में 12 फीसदी की कमी देखने को मिली है. 


इनकम नहीं बढ़ने के चलते सेल्स में कमी


हाल ही में मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा था कि एंट्री लेवल गाड़ियों की जिस रफ्तार से कीमतें बढ़ी है उस रफ्तार से उस सेगमेंट वाले बायर्स की इनकम नहीं बढ़ी है जिससे छोटी कारों की डिमांड प्रभावित हुई है. हालांकि एसयूवी को लेकर बढ़ती दीवानगी के बीच मारुति सुजुकी को उम्मीद है कि छोटी कारों की मांग 2026 के आखिर या 2027 तक फिर से रफ्तार पकड़ेगी. पार्थो बनर्जी ने कहा, टूव्हीलर्स की सेल्स में फिर से तेजी आई है जो हैचबैक सेगमेंट वाली कारों के लिए शुभ संकेत है. उन्होंने कहा, हमने पहले भी देखा है कि टूव्हीलर्स  सेगमेंट में तेजी आने के कुछ समय बाद छोटी कार सेगमेंट में भी डिमांड में तेजी आती है. पार्थो बनर्जी ने कहा, समय के साथ कार खरीद पाने की क्षमता बढ़ने पर छोटी कारों की बिक्री एक बार फिर रफ्तार पकड़ेगी. 


महंगी कार, महंगा लोन 


सिक्योरिटी और एमीशन मानकों को पूरा करने के चलते तो छोटी कारें महंगी हुई है पर कार लोन के महंगे होने के चलते भी सेल्स प्रभावित हुई है. मई 2022 से पहले आरबीआई का रेपो रेट 4 फीसदी हुआ करता था जिसे महंगाई पर काबू पाने के लिए अगले 9 महीने में बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया गया. और बीते एक साल से रेपो रेट इस लेवल पर स्थिर है. लेकिन रेपो रेट बढ़ने के चलते बैंकों ने सभी प्रकार के लोन को महंगा कर दिया जिसमें कार लोन भी शामिल है. एक तो महंगाई उसपर से महंगा कार लोन. इससे लोगों के बजट पर असर पड़ा है. बहरहाल कार कंपनियों को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था में तेजी के साथ लोगों की आय बढ़ेगी तो इससे छोटी गाड़ियों के सेल्स को बढ़ावा मिलेगा. 


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