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Germany in Recession: लो आ गई मंदी! आधिकारिक आंकड़ों ने कर दी पुष्टि, पहला शिकार बना यह देश
Global Economic Recession 2023: वैश्विक आर्थिक मंदी के कयास अब सच होने लग गए हैं. आधिकारिक रूप से अब बड़ी अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक मंदी का शिकार होने लग गई हैं...
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मंदी... मंदी... मंदी! पिछले साल से ही पूरी दुनिया में मंदी की चर्चा हो रही है और एक के बाद एक कर कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां व विश्लेषक मंदी के प्रति आगाह करते आ रहे हैं. अब यह डर सच होने लग गया है और बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को अपनी चपेट में लेने लग गया है. मतलब अब आर्थिक मंदी महज आशंका या कयास नहीं, बल्कि सच बन चुकी है.
जर्मनी बना सबसे पहला शिकार
इस बार वैश्विक आर्थिक मंदी ने सबसे पहला शिकार बनाया है यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी को. जर्मनी के सांख्यिकी कार्यालय ने गुरुवार को अर्थव्यवस्था और आर्थिक वृद्धि के आंकड़ों को जारी किया. आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2023 तिमाही के दौरान जर्मनी के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में 0.3 फीसदी की गिरावट आई. इससे पहले पिछले साल की आखिरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर 2022 के दौरान जर्मनी की जीडीपी में 0.5 फीसदी की गिरावट आई थी.
क्या होती है आर्थिक मंदी
पिछले साल की आखिरी तिमाही की तुलना में भले ही जनवरी से मार्च 2023 के दौरान अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने की रफ्तार कम रही हो, लेकिन यह खतरनाक है क्योंकि इस तरह से जर्मनी की अर्थव्यवस्था अब आधिकारिक रूप से मंदी की चपेट में आ चुकी है. अर्थशास्त्र की प्रचलित परिभाषा के अनुसार, अगर कोई अर्थव्यवस्था लगातार दो तिमाही के दौरान सिकुड़ती है, तब कहा जाता है कि संबंधित अर्थव्यवस्था आर्थिक मंदी का शिकार बन चुकी है.
लगातार लगे हैं अर्थव्यवस्था को झटके
पूरी दुनिया पिछले कुछ सालों से एक के बाद एक कई झटकों को झेल रही है. पहले कोरोना महामारी से आर्थिक प्रगति को बेपटरी किया. उसके बाद अमेरिका-चीन के व्यापार युद्ध, आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं और चिप शॉर्टेज ने दुनिया के परेशान किया. अभी इन दिक्कतों का असर कम भी नहीं हुआ था कि पूर्वी यूरोप में यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध की शुरुआत हो गई. यूक्रेन और रूस के युद्ध से यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं खासकर जर्मनी को बहुत नुकसान हुआ है.
अनुमान में करना पड़ा बदलाव
इससे पहले जर्मनी की फेडरल एजेंसी ने बेहद हल्की मंदी की आशंका व्यक्त की थी और उन्हें मार्च तिमाही के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर शून्य रहने की उम्मीद थी. हालांकि बाद में सामने आई परिस्थितियों के हिसाब से आकलन करने पर पाया गया कि मार्च तिमाही के दौरान वास्तव में जीडीपी की साइज में गिरावट आई है.
इस तरह से आई आर्थिक मंदी
रूस से ईंधन की आपूर्ति बंद होने से कई देशों में महंगाई चरम पर है और खाने-पीने की चीजों की कमी पैदा हो गई है. जर्मनी पारंपरिक रूप से ईंधन जरूरतों के लिए रूस की आपूर्ति पर निर्भर रहता आया है. अभी यह स्रोत बंद होने से जर्मनी में काफी ज्यादा महंगाई का प्रकोप है. इसके चलते लोगों का उपभोग भी प्रभावित हुआ है. मार्च तिमाही के दौरान जर्मनी में उपभोग में 1.2 फीसदी की गिरावट आई है. एक-दूसरे से कनेक्टेड इन फीचर्स ने मंदी को अवश्यंभावी बना दिया.
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