Edible Oil Price Update: ग्लोबल मार्केट में आई तेजी की वजह से घरेलू बाजार में खाने वाले तेल की कीमतों में सुधार देखने को मिला है. देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों, सोयाबनी, मूंगफली समेक सभी की कीमतों में तेजी देखने को मिली है. मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक, बीते सप्ताह मलेशिया में खाद्य तेलों के भाव लगभग 100 डॉलर मजबूत हुए हैं. 


सरकार ने आयात शुल्क में की कटौती
इसी बीच सरकार ने आयात शुल्क मूल्य में कटौती की है. इस कटौती के तहत पामोलीन के आयात शुल्क में 307 रुपये प्रति क्विंटल की भारी कमी की गई है जबकि सोयाबीन डीगम में 69 रुपये प्रति क्विंटल की और कच्चे पाम तेल (सीपीओ) के आयात शुल्क मूल्य में 47 रुपये प्रति क्विंटल की कमी की गई है.


सोयाबीन तेल का भाव पहले कैसे रहता था?
इस कटौती के बाद जिस सोयाबीन तेल का दाम पहले सीपीओ से लगभग 50 डॉलर अधिक हुआ करता था वह अंतर अब बढ़कर 310 डॉलर हो गया है. साल 2010 के बाद एक हफ्ते के अंदर सोयाबीन दाने के भाव पहले कभी इतनी तेजी से बढ़ते नहीं देखे गये हैं. 


आयात में होगा इजाफा
मलेशिया में सीपीओ और पामोलीन लगभग बराबर भाव पर हैं क्योंकि सीपीओ तेल पर निर्यात शुल्क लगाया जाता है जबकि पामोलीन पर निर्यात शुल्क नहीं के बराबर है. सूत्रों ने कहा कि सीपीओ और पामोलीन के मुकाबले प्रति टन सोयाबीन डीगम का भाव 300 डॉलर महंगा होने से सीपीओ और पामोलीन के आयात में इजाफा होगा. 


कैसा रहा सोयाबीन तेल का भाव?
सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम तो पहले ही मजबूत हैं और सीपीओ का जो दाम लगभग दो महीने पहले 2,050 डॉलर प्रति टन था वह घटकर लगभग 1,030 डॉलर प्रति टन रह गया था. यह अब फिर बढ़कर 1,150 डॉलर प्रति टन हुआ है. मलेशिया एक्सचेंज के मजबूत रहने से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी समीक्षाधीन सप्ताह में सुधार को मदद मिली.


सस्ता नहीं हो रहा तेल
सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क में छूट दिये जाने के बाद तेल की कीमतें सस्ती होनी चाहिए, लेकिन सरकार की रियायतों का लाभ न तो उपभोक्ता को मिल रहा है, न किसानों को और न ही तेल उद्योग को मिल रहा है. इससे सिर्फ सरकार को राजस्व की ही हानि है.


सरसों का तेल 30 रुपये है सस्ता
सप्ताह के दौरान नमकीन बनाने वाली कंपनियों की मांग होने से मूंगफली तेल- तिलहन के साथ-साथ बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार आया. सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक निरंतर घट रही है तथा बरसात के मौसम में इस तेल की मांग बढ़ रही है जिससे सरसों तेल-तिलहन में भी सुधार है. पिछले साल के मुकाबले सरसों तेल लगभग 30 रुपये किलो सस्ता है.


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