India Inflation Concern: वित्त मंत्रालय ने चेतावनी देते हुए कहा कि आने वाले महीनों में महंगाई का दबाव बना रह सकता है ऐसे में केंद्र सरकार और आरबीआई को इसे लेकर बेहद सतर्क रहने की जरुरत है. वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने 22 अगस्त 2023 को जुलाई महीने के लिए मंथली इकोनॉमिक रिपोर्ट जारी की है जिसमें ये बातें कही गई है.
कम बारिश ने बढ़ाई चिंता
इस रिपोर्ट में अगस्त महीने में मानसून बारिश में कमी को लेकर भी चिंता जाहिर की गई है. वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक डिविजन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि घरेलू खपत, निवेश में तेजी के चलते आर्थिक विकास की गति बनी रहेगी. लेकिन वैश्विक और क्षेत्रीय अस्थिरता के साथ घरेलू स्तर पर सप्लाई में दिक्कतों के चलते महंगाई का दबाव बना रहेगा. रिपोर्ट में इसके मद्देनजर सरकार और आरबीआई को बेहद चौंकन्ना रहने को कहा गया है.
बना हुआ है महंगाई का खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक अस्थिरता के बावजूद निजी क्षेत्र की मजबूत बैलेंसशीट, कैपिटल एक्सपेंडिचर पर सरकार का जोर और बढ़ते निजी निवेश के चलते घरेलू आर्थिक गतिविधि में तेजी बनी हुई है. लेकिन वैश्विक व्यवधान के साथ ही घरेलू कारणों के चलते महंगाई बढ़ने का खतरा है जो देश के मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता के सामने चुनौती पैदा कर सकता है.
खाद्य महंगाई में उछाल
रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल मोर्चे पर एफएओ फूड प्राइस के लेटेस्ट इंडेक्स (FAO food price index) के मुताबिक जुलाई महीने में खाद्य महंगाई में बढ़ोतरी देखने को मिली है जिसमें अप्रैल 2022 के बाद से गिरावट देखी जा रही थी. सनफ्लावर, पाम, सोया और रेपसीड ऑयल जैसे वेजिटेबल ऑयल, चावल गेहूं जैसे अनाज के कीमतों में उछाल देखने को मिला है. वैश्विक अस्थिरता और ब्लैक सी ग्रेन पैक्ट के खत्म होने के बाद गेहूं और सनफ्लावर ऑयल की सप्लाई में दिक्कतें पैदा हुई है. कनाडा और अमेरिका में लगातार सूखे की स्थिति के चलते गेहूं की पैदावार प्रभावित हुई है. तो मलेशिया में पाम ऑयल के प्रोडक्शन में गिरावट और अमेरिका कनाडा में सोयाबीन और रेप सीड के प्रोडक्शन आउटलुक को लेकर चिंता के चलते वेजिटेबल ऑयल की कीमतें बढ़ी है. वित्त मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक व्यवधान का असर साफतौर पर भारत में महंगाई दर के आंकड़ों पर देखा जा रहा है.
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