नई दिल्लीः आम बजट के ऐन पहले आर्थिक मोर्चे पर मिली जुली खबरें हैं. एक तरफ जहां खुदरा महंगाई दर पांच फीसदी के ऊपर हो गयी, वहीं औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी की दर आठ फीसदी से ज्यादा दर्ज की गयी.


दोनों ही आर्थिक पैमाने में बढ़ोतरी के बाद ब्याज दर में कमी की उम्मीदो पर पानी फिर गया है. रिजर्व बैंक गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति अगले महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगी. अब इस बात की उम्मीद नहीं के बराबर है कि समिति नीतिगत ब्याज दर में कोई कमी करेगी. वजह ये है कि केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच हुए समझौते के मुताबिक खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य वैसे तो 4 फीसदी है, लेकिन इसमें दो फीसदी तक की कमी-बेसी स्वीकार्य होगी. दूसरे शब्दों में कहें तो खुदरा महंगाई दर कम से कम दो फीसदी और ज्यादा से ज्यादा छह फीसदी होनी चाहिए.


खुदरा महंगाई दर
सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर के महीने में खुदरा महंगाई दर 5.21 फीसदी दर्ज की गयी जबकि नवम्बर में ये दर 4.88 फीसदी थी. इस तरह खुदरा महंगाई दर 17 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर आ गयी. केवल खाने-पीने के सामान की खुदरा महंगाई दर की बात करे तो ये नवम्बर के 4.35 फीसदी के मुकाबले दिसंबर में बढ़कर 4.96 फीसदी पर पहुंच गया.


खुदरा महंगाई दर बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका सब्जियों की रही, वही अंडा और फल भी पीछे नही रहे. सब्जियो की खुदरा महंगाई दर में 29 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने की मिली जबकि अंडे के मामले में खुदरा महंगाई दर करीब साढ़े नौ फीसदी और सब्जियों के मामले में करीब पौने सात फीसदी दर्ज की गयी. पिछले कुछ समय से सब्जियों खासकर पहले टमाटर और अब प्याज के दाम भाग रहे हैं. दूसरी ओऱ सर्दियों के बढ़ने के साथ ही अंडे की मांग बढी है जिसकी वजह से इसकी कीमत में इजाफा हुआ. जानकारों की मानें तो सब्जियो की दाम में कमी देखने को मिलेगी, लेकिन अंडे के दाम में फिलहाल तेजी का सिलसिला बना रहेगा.


औद्योगिक उत्पादन दर
इस बीच, अर्थव्यवस्था में सुस्ती को लेकर आलोचना झेल रही सरकार के लिए राहत की खबर ये है कि औद्योगिक उत्पादन करीब 25 महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया. नवम्बर के महीने में औद्योगिक उत्पादन दर 8.4 फीसदी दर्ज की गयी जबकि अक्टूबर के महीने मे ये 2.2 फीसदी पर थी. खास बात ये रही कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के विकास दर दोहरे अंक में रही. नवम्बर में ये दर 10.2 फीसदी रही जबकि अक्टूबर में ये दर 2.2 फीसदी थी.


मैन्युफैक्चरिंग का तेज रफ्तार से बढ़ना रोजगार के मोर्चे पर अच्छी खबर दे सकता है. क्योंकि औद्योगिक उत्पादन बढ़ने का मतलब जहां एक ओर मौजूदा कंपनियो की ओर से अपनी क्षमता का विस्तार है, वहीं दूसरी ओर नयी परियोजनाएं भी शुरु होने के संकेत मिलते हैं. दोनों ही सूरत में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार के नए मौके बनेंगे. आम तौर पर अगर एक व्यक्ति को सीधे-सीधे नौकरी मिलती है तो उसके साथ ही औसतन चार लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है.