नई दिल्ली: अगर मोबाइल फोन या क्रेडिट कार्ड का बिल 30 जून या उसके पहले जारी किया गया है तो आपको उस पर ऊंची दर वाला जीएसटी नहीं चुकाना होगा. उधर, वित्त मंत्रालय ने साफ किया है कि अगर जीएसटी की वजह से सामान का दाम बढ़ गया है और पुराने स्टॉक पर स्टीकर चिपकाने में देरी हो रही है तो कंपनियों को अखबारों में विज्ञापन देकर स्थिति साफ करनी होगी.
जीएसटी यानी पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर पहली जुलाई से लागू की जा चुकी है. मोबाइल फोन या क्रेडिट कार्ड को लेकर परेशानी का विषय ये है कि पहले इनपर सेस समेत सर्विस टैक्स की दर 15 फीसदी थी जबकि जीएसटी की दर 18 फीसदी है. यहां भ्रम का मुद्दा है कि क्या टैक्स की नयी दर भुगतान की तारीख के पर होगा या बिल जारी करने की तारीख पर.
मोबाइल बिल-क्रेडिट कार्ड बिल
जीएसटी पर मास्टर क्लास के दूसरे दिन वित्त मंत्रालय ने साफ किया कि टैक्स की देनदारी बिल जारी करने की तारीख के आधार पर होगी. मतलब ये कि अगर मोबाइल फोन या फिर क्रेडिट कार्ड का बिल 30 जून या उससे पहले जारी किया गया है और उसपर भुगतान की तारीख पहली जुलाई के बाद की है तो भी ग्राहक को बिल की रकम पर 15 फीसदी की दर से सर्विस टैक्स ही चुकाना होगा ना कि 18 फीसदी की दर से जीएसटी.
मतलब साफ है कि कम से कम इस महीने तो पोस्टपेड मोबाइल कनेक्शन का इस्तेमाल करने वाले और क्रेडिट कार्ड वालो पर ऊंची दर का बोझ नहीं पड़ेगा. वैसे ध्यान देने की बात ये है कि सरकार ने टेलिकॉम और फाइनेंशियल सेवा देने वालों कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट के मद्देनजर अपनी लागत का नए सिरे से आंकलन करने को कहा है. ऐसा होने पर टैक्स की दर भले ही ऊंची हो, लेकिन आपकी देनदारी नहीं बढ़ेगी.
एमआरपी पर सरकार की स्थिति साफ की
क्लास के दौरान अधिकत्तम खुदरा मूल्य यानी एमआरपी (एमआरपी का मतलब कीमत और टैक्स का योग) का मुद्दा भी उठा. चूंकि कुछ सामान की कीमत जीएसटी लागू होने के बाद बढ़ गयी है, जबकि पुराने स्टॉक पर अभी भी पहले का एमआरपी छपा है तो ऐसे में सरकार ने कंपनियों को पुरानी कीमत के बगल में स्टीकर चिपकाने और कीमतों में फेरबदल का विज्ञापन अखबारों में छपवाने को कहा है.
दूसरी ओर कंपनियों औऱ रिटेलर्स का कहना है कि तमाम बचे स्टॉक पर तुरंत स्टीकर चिपकाना आसान नहीं. अब इस मामले में राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया ने कहा कि कानून के मुताबिक स्टिकर तो चिपकाना ही होगा. लेकिन अगर इस मामले में देरी हो रही है तो कंपनियां तुरंत अखबार में विज्ञापन देकर कीमत बढ़ने की जानकारी ग्राहकों को दे दे.
कपड़े के पुराने स्टॉक पर इनपुट टैक्स क्रेडिट
जीएसटी लागू होने के पहले ही देश के विभिन्न हिस्सों में कपड़ा व्यापारियों-कारोबारियों ने हड़ताल शुरु कर दी जो अब भी जारी है. अब ये सवाल उठ रहा है कि है कि इन व्यापारियों-कारोबारियों के पास जो पुराना स्टॉक जमा पड़ा है, क्या उन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा मिलेगा. इस मामले में अढिया ने कहा कि जिन सामान पर पहले टैक्स नहीं लगता था, उनके इस्तेमाल से बने बकाया स्टॉक पर कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा. लेकिन जिन पर टैक्स था और टैक्स चुका दिया तो वहां इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा मिलेगा. ये व्यापारी कारोबारी कपड़े पर जीएसटी लगाए जाने का विरोध कर रहे हैं.