China Taliban Oil Deal : अफगानिस्तान इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है. तालिबान की अगुवाई वाले अफगानिस्तान के लिए राहत की खबर है. तालिबान के राज में अफगानिस्तान को अपना पहला अंतरराष्ट्रीय करार एक चीनी कंपनी के साथ कर लिया है. इस बारे में तालिबान शासन ने नॉर्दर्न अमु दरिया बेसिन (Northern Amu Darya Basin) से तेल निकालने के लिए अपने पहले अंतरराष्ट्रीय करार पर हस्ताक्षर कर दिए है. 


देश को आर्थिक संकट से बचाना 


बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान को आर्थिक संकट से बचाने के लिए तालिबान ने चीन की एक कंपनी के साथ समझौता किया है. इससे देश में राजस्व को बढ़ावा मिलेगा. हालांकि चीन की ओर से अभी इस शासन को मान्यता नहीं दी गई है.


ये रहे मौजूद 


इस कार्यक्रम में चाइना नेशनल पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (China National Petroleum Corporation) की एक सहायक कंपनी के साथ समझौते पर काबुल में चीनी राजदूत वांग यू (Chinese Ambassador Wang Yu) और मुल्ला अब्दुल गनी बरादार (Mullah Abdul Ghani Baradar) अफगानिस्तान के कार्यवाहक उप-प्रधानमंत्री उपस्थिति रहे है. दोनों एक कार्यक्रम के दौरान हस्ताक्षर किए है.


अफगानिस्तान ने क्या कहा 


मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने पहले अंतरराष्ट्रीय करार पर कहा, “यह समझौता अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और तेल आजादी के स्तर को आगे बढ़ाएगा.” वांग, जिनके देश चीन ने अभी तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है. उन्होंने कहा कि 25 साल का यह अनुबंध अफगानिस्तान को आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद करेगा.


चीनी कंपनी ने 25 साल के लिए किया करार


माइंस और पेट्रोलियम के कार्यवाहक मंत्री शहाबुद्दीन देलावर का कहना है कि झिंजियांग मध्य एशिया पेट्रोलियम और गैस कंपनी (Xinjiang Central Asia Petroleum and Gas Co) पांच तेल और गैस ब्लॉकों का पता लगाने के लिए पहले साल में 150 मिलियन डॉलर (करीब 12,394,403,700 भारतीय रुपये) और बाद के 3 सालों में 540 मिलियन डॉलर (करीब 44,67,04,47,000.00 भारतीय रुपये) तक का निवेश करेगी. ये ब्लॉक्स उत्तरी अफगानिस्तान में 4,500 वर्ग किलोमीटर (1,737.5 वर्ग मील) क्षेत्र में स्थित हैं.


15 फीसदी मिलेगी रॉयल्टी 


25 साल के इस अनुबंध से तालिबानी शासन को 15 फीसदी रॉयल्टी फीस मिलेगी. इससे रोजाना 200 टन तेल उत्पादन होगा और धीरे-धीरे बढ़कर 1,000 टन तक ले जाया जाएगा. एक सर्वेक्षण के अनुसार, पांच ब्लॉकों में 87 मिलियन बैरल कच्चे तेल का अनुमान लगाया गया है.


पिछली सरकार ने रद्द किया था सौदा


मंत्री शहाबुद्दीन देलावर ने कहा कि कंपनी, जिसे सीएपीईआईसी (CAPEIC) के नाम से जाना जाता है, अफगानिस्तान की पहली कच्चे तेल रिफाइनरी का भी निर्माण करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि यदि यह एक साल के भीतर सभी अनुबंध दायित्वों को पूरा करने में नाकाम रहता है, तो इस करार को खत्म कर दिया जाएगा.


CAPEIC की मूल कंपनी CNPC को पिछली अमेरिका समर्थित सरकार की ओर से 2011 में इसी प्रोजेक्ट्स दिया था, लेकिन काम में देरी होने के कारण पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा कई साल बाद इस करार को रद्द कर दिया गया था.


ये भी पढ़ें- Wells Fargo: एयर इंडिया में सह-यात्री पर पेशाब करने वाले युवक को नौकरी से निकाला, जानें पूरा मामला