Standard Deduction: कोरोना महामारी के बावजूद भी भारतीय सैलरीड क्लास को आम बजट से ज्यादा राहत नहीं मिल पाई थी. इस साल बजट 2023-24 में आम जनता को उम्मीद है कि अगले आम चुनाव से पहले इस पूर्ण बजट में सरकार और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उन्हें कुछ ऐसे मोर्चों पर राहत दे सकती हैं जो मेहनती जॉब वर्कर्स को इस ऊंची महंगाई के दौर में कुछ राहत जरूर दे पाएंगी.


स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट बढ़ने की है पूरी उम्मीद


टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले बजट में सैलरीड क्लास को स्टैंडर्ड डिडक्शन के रूप में मिलने वाली 50,000 रुपये की छूट का फायदा बढ़ाया जाना चाहिए. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार वित्त मंत्री को सैलरीड क्लास के लिए कुछ बड़े एलान अवश्य करने चाहिए. दरअसल कोविड संकटकाल के बाद दोबारा ऑफिस खुलने के बाद सैलरीड क्लास को बढ़ी हुई ट्रांसपोर्ट कॉस्ट, किराए और अन्य मदों में बढ़े हुए खर्चों से जूझना पड़ रहा है. जैसा कि पहले कुछ कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को कहा था कि वो अपने रेंटेंड हाउस को खाली करके अपने होम टाउन जा सकते हैं और वर्क फ्रॉम होम कर सकते हैं लेकिन अब स्थितियां सामान्य होने के बाद कंपनियां अपने एंप्लाइज को वापस बुला रही हैं और कह रही हैं कि जहां उनके ऑफिसेज हैं वहां कर्मचारियों को रहना होगा. जाहिर तौर पर इसके लिए एंप्लाइज को किराए पर घर लेने की जरूरत पड़ने वाली है.


महामारी के बाद बढ़ रहे हैं एंप्लाइज के खर्चे


अब जो एंप्लाइज वापस अपने कार्यक्षेत्र वाले शहरों में लौट रहे हैं वो नए किराए वाले घर, ट्रांसपोर्ट कॉस्ट और घर के जरूरी सामान के खर्चों का सामना कर रहे हैं. ग्रॉसरी से लेकर फर्नीचर और एफएमसीजी प्रोडक्ट्स से लेकर किरायों के खर्चों से निपटने के लिए उन्हें स्टैंडर्ड डिडक्शन में और छूट मिलने की जरूरत सामने आ रही है. स्टैंडर्ड डिडक्शन को साल 2018-19 में दोबारा संशोधित करते 40,000 रुपये का किया गया था जो कि पहले ट्रांसपोर्ट अलाउंस के रूप में 19,200 रुपये और मेडिकल अलाउंस के रूप में 15,200 रुपये की छूट के तौर पर मिलता था. टैक्सबेल इनकम में से इसकी छूट किल मिलाकर 34,200 रुपये की होती थी जिसे बढ़ाकर 40,000 रुपये किया गया. इसके बाद इसे बढ़ाकर बाद के बजट में 50,000 रुपये कर दिया गया था. 


स्टैंडर्ड डिडक्शन कैसे घटाता है टैक्स का बोझ


ये एकमुश्त राशि होती है जिसे आपकी ग्रॉस सैलरी से घटा दिया जाता है जिसके नतीजे के रूप में सैलरीज शख्स की टैक्सेबल इनकम कम हो जाती है और इससे टैक्स का बोझ घटता है. ये वो डिडक्शन होता है जिसके लिए एंप्लाई को कोई प्रूफ नहीं देने होते हैं और इसके दम पर वो टैक्सेबल इनकम में छूट ले सकते हैं.


नए टैक्स रिजीम के साथ मिल सकती हैं और छूट


दरअसल सरकार ने व्यक्तिगत इनकम टैक्स में किसी तरह का बदलाव पिछले तीन सालों में नहीं किया है. इससे पिछले साल में आसान टैक्स रिजीम को लाने का फैसला किया और इसके तहत टैक्स की दरें तो कम हो गईं पर इसमें मिलने वाले कई डिडक्शन और टैक्स छूट को खत्म कर दिया. इस साल ये उम्मीद की जा रही है कि सरकार टैक्स छूट का दायरा बढ़ाकर लोअर इनकम ग्रुप के टैक्सपेयर्स को कुछ राहत दे सकती है. स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट को बढ़ाकर एंप्लाई को डायरेक्ट फायदा दिया जा सकता है. इस तरह सरकार एंप्लाई की टेक-होम सैलरी को बढ़ा सकती है. इसके लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट के तहत मिलने वाले 50,000 रुपये की रकम को बढ़ाकर 60,000 रुपये या 70,000 रुपये तक किए जाने की उम्मीद तो सैलरीड क्लास को है और एक्सपर्ट्स भी ऐसा मान रहे हैं.


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