MSME Sector Union Budget 2023 Expectations : संसद में 1 फरवरी 2023 को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) अगले वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए आम बजट (Union Budget 2023) पेश करने जा रही है. बजट को लेकर देश के एमएसएमई सेक्टर (MSME Sector) को खास उम्मीदें है. इस सेक्टर से जुड़े छोटे-बड़े व्यापारी सरकार से कई तरह की छूट, और लोन मिलने की सुविधा में कम समय की मांग कर रहे है. साथ ही टैक्स में राहत मिलने का अनुमान जताया जा रहा है. हम इस खबर में आपको देश के एमएसएमई सेक्टर को बजट से क्या उम्मीदे हैं.इसकी पूरी जानकारी देने जा रहे है..जानिए क्या है डिमांड....


वित्त मंत्री के सामने पहुंच गई मांग 


MSME सेक्टर देश का ऐसा सेक्टर है, जो भरतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और आत्मनिर्भर बनाने में मदद करता है. साल 2023 का बजट आने में अभी 3 दिन बाकी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कई उद्योग संगठनों और संस्थाओं के साथ बैठकों का दौर पूरा कर चुकी हैं. उद्योग संगठन अपनी मांग वित्त मंत्री के सामने रख चुके हैं. जिसके बाद अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी है कि वो कितनी पूरी होगी. साथ ही उनको बजट 2023 में क्या मिलने वाला है.


फिर गठित हो क्रेडिट गारंटी योजना


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2023-24 के एमएसएमई बजट की प्राथमिक अपेक्षा व्यापार शुरू करने के पैसा (कार्यशील पूंजी) तक अपनी पहुंच को बढ़ाना है. भारत सरकार पहले से ही क्रेडिट गारंटी योजना के पुनर्गठन और उद्योग, ई-श्रम, और राष्ट्रीय कैरियर सेवा जैसी पहलों की प्रतीक्षा में है. MSMEs के लिए गैर-कर लाभों को 3 साल तक बढ़ा दिया है. एमएसएमई देश के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मदद करने वाला है. 


भारत बनेगा 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था


छोटे उद्यमों को लोन देने के मामले में तेजी लाने की जरूरत है, क्योंकि इससे एमएसएमई सेक्टर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को लाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. 2025 तक भारत के लिए 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को हासिल करने की उम्मीद है.


कोविड से हुआ आर्थिक नुकसान 


गैर-बैंकिंग पर केपीएमजी (KPMG) नवंबर 2022 की रिपोर्ट में वित्तीय कंपनियां (NBFC) और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां (HFC) ने सुझाव दिया है. इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में कोविड महामारी (Covid) से एमएसएमई सेक्टर को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, लेकिन यह सरकार की ठोस नीतिगत पहलों के चलते काफी कुछ ठीक हो रहा है.


कितना मिला लोन 


एमएसएमई लोन मार्च 2020 में ₹ 31 लाख करोड़ से बढ़कर जून 2022 तक ₹ 36.4 लाख करोड़ रुपया तक पहुंच गया है. इसमें 88 प्रतिशत पंजीकृत उधारकर्ता माइक्रो-सेगमेंट से हैं, 10 प्रतिशत छोटे सेगमेंट से हैं, और केवल 2 प्रतिशत हैं. 


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