एक्सप्लोरर

उत्तरकाशी टनल हादसा: जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि

जहां तलवार काम नहीं आती, वहां सुई काम आती है. बस वैसे ही समझिये इन रैट माइनर्स को. इनके नाम में भले ही 'चूहा' जुड़ा है, लेकिन सिलक्यारा टनल में इन्होंने साबित कर दिया कि 41 श्रमवीरों को ये शेर बनकर बचाकर लाए. सिलक्यारा में चुनौती 60 मीटर की थी. दुनिया की बेहतरीन मशीनों ने 15 दिन में 47 मीटर खुदाई की. ..आखिरी के 2 दिन में जिन्होंने 13 मीटर खुदाई की, वो थे 12 रैट माइनर्स.

रैट माइनर का मतलब- 

चूहे की तरह मिट्टी में बिल बनाना. उसे अंदर घुसकर धीरे-धीरे खोदना और मिट्टी निकालकर बाहर फेंकते जाना. ..यही रैट माइनर्स के काम का तरीका है. जो काम ड्रिलिंग मशीनों से नहीं किया जा सकता, वो काम ये हाथ से और छोटे देसी औज़ारों जैसे छैनी या खुरपी से करते हैं. ये मिट्टी में छोटा सा छेद करके आगे बढ़ते हैं, मिट्टी हटाते जाते हैं. छोटी सुरंग बनाने में रैट माइनर्स का कोई मुक़ाबला नहीं है. सिलक्यारा में रैट माइनर्स के पास हिलटी (एक छोटा हैंड ड्रिलर) था. 

रैट माइनिंग के 2 तरीके 
1- साइड कटिंग प्रोसीज़र-

इसमें पहाड़ की ढलान की तरफ़ छेद बनाकर खुदाई करते हैं. चूहे की तरह थोड़ी-थोड़ी मिट्टी खोदकर उसे बाहर फेंकते जाते हैं, आगे बढ़ते जाते हैं. 

2-बॉक्स कटिंग प्रोसीज़र-

इसमें एक चौड़ा गड्ढा खोदते हैं. फिर एक हॉरिजोन्टल गड्ढा खोदा जाता है. उसके बाद वर्टिकल खुदाई करते हुए रैट माइनर्स आगे बढ़ते जाते हैं. अमूमन रेट माइनिंग कोयला खदानों में होती है. झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा में जहां खदानें हैं वहां होती है. लेकिन 2014 में NGT ने रैट माइनिंग को बैन कर दिया था, क्योंकि इसमें सेफ्टी नहीं थी, कोई सेफ्टी किट नहीं था. कुछ विशेष परिस्थितियों में इसकी छूट थी. सिलक्यारा टनल में ठीक वही हालात थे, और रैट माइनर ही काम आए. 

- ज़रूरत क्यों पड़ी?

24 नवंबर को जब ऑगर मशीन की ब्लेड्स टूट गईं तो हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग बंद करनी पड़ी. मशीन से और प्रेशर डाला तो शॉफ्ट भी टूट गया. इस वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ा. ...तब 47 मीटर तक खुदाई हो चुकी थी. इसके बाद प्लान B यानी वर्टिकल ड्रिलिंग पर काम शुरू हुआ. पर काम शुरू हुआ. ये प्लान वर्टिकल ड्रिलिंग का था. 

रैट होल माइनर्स ने 27 नवंबर को 47 मीटर से खुदाई शुरू की और दो दिन के भीतर 13 मीटर खुदाई करते हुए अपने टारगेट यानी 41 मजदूरों तक पहुंच गये. ये 3-3 की टीम थीं. एक रैट माइनर खुदाई करता रहा, दूसरा मिट्टी हटाता रहा, और तीसरा रैट माइनर इस मिट्टी को बाहर भेजता रहा.  

- रैट माइनिंग क्यों अहम?

..क्योंकि हिमालयन रेंज के पहाड़ कच्चे हैं, मिट्टी भुरभुरी है. हैवी मशीनों की धमक और शोर से मिट्टी ढहने का खतरा हो सकता था. लेकिन रैट माइनिंग में ये ख़तरा न बराबर था. ..रैट माइनर्स के मिट्टी हटाने के पैटर्न को कुछ-कुछ वैसा भी समझ सकते हैं मानों किसी चीज़ को नाखून से खुरच रहे हों.

जहां काम आवे सुई, कहां करे तलवार... रहीम के इस बताए गए दोहे में ये कहा गया है कि कभी भी छोटी सी छोटी वस्तु, क्रिया व नियम और संसाधनों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हर वस्तु और क्रिया का अपना अलग महत्व है. यही कारण है कि विदेशी परिष्कृत मशीनें जब इस सुरंग में काम नहीं कर पाईं तो हमें देसी जुगाड़े का उपाय खोजना पड़ा, जो कि नेशनल गिल्ड ट्रिब्यूनल द्वारा 2014 में ही बंद कर दिया गया था. 

हालांकि, उत्तर पूर्वी राज्यों में आज भी मेघालय जैसे राज्यों में इस प्रोसेस के अंतर्गत कोयले का खनन किया जाता है. यही कारण है कि मेघालय में 15 मजदूरों ने अपनी जीवन लीला खत्म कर ली थी.

रैट होल माइनिंग एक तरह से देखा जाए तो चूहे के द्वारा जो बिल बनाए जाते हैं, उसी पद्धति पर आधारित है. इसके अंतर्गत 3 से 4 फीट का एक गड्ढा किया जाता है, और उसे गड्ढे में रस्सी या बांस की सीढ़ी के द्वारा नीचे उतरा जाता है. इसके बाद खनिजों का खनन किया जाता है. 

इस प्रक्रिया में कम से कम 3 आदमी का होना जरूरी है. एक आदमी खनन करता हैं, दूसरा उस खनिज को इकट्ठा करता है और तीसरा उस खनिज को बाहर तक भेजता है. इस तरह के खनन में स्थानीय औजार या उपकरण उपयोग में लाए जाते हैं, जैसे फावड़ा, हथौड़ा आदि. ये तकनीक दो प्रकार की होती है, पहला- साइड कटिंग और दूसरी बॉक्स कटिंग के नाम से जानी जाती है.

अभी जो मजदूरों का जीवन बचाया गया वो साइड कटिंग प्रक्रिया के जरिए ही बचाया गया है. यही एक वजह रही कि 24 घंटे के अंदर मजदूरों ने 10 मीटर मलवा या चट्टानों को तोड़कर फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकाला जा सका. इसलिए, यहां पर ये कहावत चरितार्थ होती है कि जहां काम आवे सुई का, कहां कर तलवार...

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ़ लेखक ही ज़िम्मेदार हैं.]

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Saudi Arabia Hajj: सऊदी अरब में गर्मी बनी काल! हीट स्ट्रोक से 19 हज यात्रियों की मौत
सऊदी अरब में गर्मी बनी काल! हीट स्ट्रोक से 19 हज यात्रियों की मौत
'ये RSS का काम नहीं...', अयोध्या में बीजेपी की हार पर पहली बार बोले चंपत राय
'ये RSS का काम नहीं...', अयोध्या में बीजेपी की हार पर पहली बार बोले चंपत राय
Father's Day 2024: फादर्स डे पर Sara की पिता Saif Ali Khan के साथ दिखी स्पेशल बॉन्डिंग, तस्वीरें शेयर कर बोलीं - ‘पार्टनर इन क्राइम’
फादर्स डे पर सारा की पिता सैफ अली खान के साथ दिखी स्पेशल बॉन्डिंग
'बाबर आजम को टी20 नहीं खेलना चाहिए, हमेशा टुक-टुक...', भारतीय दिग्गज ने लगाई लताड़
'बाबर आजम को टी20 नहीं खेलना चाहिए, हमेशा टुक-टुक...', भारतीय दिग्गज ने लगाई लताड़
metaverse

वीडियोज

Australia की जीत के बदौलत England ने Super 8 में बनाई जगह, अब इन टीमों से होगा मुकाबला | Sports LIVESandeep Chaudhary: NEET परीक्षा में घोटाले के सबूत सामने आने के बाद भड़क गए संदीप चौधरी | NTAशिवराज सिंह चौहान को क्यों नहीं मिला CM का पद? Dharma LiveSandeep Chaudhary: सीधा सवाल शो में आई छात्रा ने Neet परीक्षा को लेकर पूछे अहम सवाल | NTA | Breaking

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Saudi Arabia Hajj: सऊदी अरब में गर्मी बनी काल! हीट स्ट्रोक से 19 हज यात्रियों की मौत
सऊदी अरब में गर्मी बनी काल! हीट स्ट्रोक से 19 हज यात्रियों की मौत
'ये RSS का काम नहीं...', अयोध्या में बीजेपी की हार पर पहली बार बोले चंपत राय
'ये RSS का काम नहीं...', अयोध्या में बीजेपी की हार पर पहली बार बोले चंपत राय
Father's Day 2024: फादर्स डे पर Sara की पिता Saif Ali Khan के साथ दिखी स्पेशल बॉन्डिंग, तस्वीरें शेयर कर बोलीं - ‘पार्टनर इन क्राइम’
फादर्स डे पर सारा की पिता सैफ अली खान के साथ दिखी स्पेशल बॉन्डिंग
'बाबर आजम को टी20 नहीं खेलना चाहिए, हमेशा टुक-टुक...', भारतीय दिग्गज ने लगाई लताड़
'बाबर आजम को टी20 नहीं खेलना चाहिए, हमेशा टुक-टुक...', भारतीय दिग्गज ने लगाई लताड़
Yogi Adityanath: 2022 के चुनाव से पहले हो गई थी CM योगी को हटाने की तैयारी! इस किताब में बड़ा दावा
2022 के चुनाव से पहले हो गई थी CM योगी को हटाने की तैयारी! इस किताब में बड़ा दावा
रेलयात्रा में होगी आसानी, इस साल ट्रैक पर दौड़ सकती हैं 50 अमृत भारत ट्रेनें
रेलयात्रा में होगी आसानी, इस साल ट्रैक पर दौड़ सकती हैं 50 अमृत भारत ट्रेनें   
खाने के बाद सौंफ खाने के फायदे या नुकसान? जान लें जवाब
खाने के बाद सौंफ खाने के फायदे या नुकसान? जान लें जवाब
Bakrid 2024: बकरीद पर कुर्बानी के लिए कितनी हो बकरे की उम्र, जानिए फर्ज-ए-कुर्बानी के नियम
बकरीद पर कुर्बानी के लिए कितनी हो बकरे की उम्र, जानिए फर्ज-ए-कुर्बानी के नियम
Embed widget