एक्सप्लोरर

नए खिलाड़ियों के हौंसले के साथ लौट रही हॉकी की रंगत

नई दिल्ली: ऐसे समय में जब सर्जिकल स्ट्राइक, सपा की स्थापना के पच्चीस साल और दिल्ली की धुध के साथ ही उत्तर-प्रदेश चुनाव के लिए महागठबंधन की उम्मीदों के साथ-साथ चाचा-भतीजे की लड़ाई के प्रसंग भी सुर्खियों में हों तब सपने जगाती एक खबर कहीं मौन सी रह गई. बल्कि ये दो खबरें हैं. पहले भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने मलेशिया के कुआंटन में चिर प्रतिद्व्ंदी पाकिस्तान को 3-1 से हराकर एशियन कप जीता और फिर आखिरी तीस सैंकड में चीन के खिलाफ गोल ठोककर भारतीय हॉकी महिला टीम भी एशियाई चैंपिंयन बन गई. बेशक कह सकते हैं कि ये दोनों टूंर्नामेंट एशिया के दायरे में हैं. खासकर पुरुष हॉकी में तो आस्ट्रेलिया जर्मन नीदरलैंड स्पेन इंग्लैंड जैसी टीमें न हो तो इस खिताब से कैसे भारतीय हॉकी की वापसी मान लें. लेकिन यह भी देखना होगा कि पिछले कुछ समय से भारत ने विश्व की बेहतर टीमों को भी हराया है. उधर एकदम हाशिए पर जा रही भारतीय महिला हॉकी टीम फिर एशियाई स्तर पर अपना दबदबा बनाए हुए है. अगर देखें तो भारतीय हॉकी को अपनी सबसे बडी सफलता 1976 के क्वालांलपुर विश्व कप में ही मिली थी, जहां फाइनल में पाकिस्तान को 2-1 से पराजित कर भारतीय टीम ने परचम लहराया था. इसके बाद जो भी ओलंपिक या विश्व कप हुए भारतीय हॉकी अपने स्तर को कायम नहीं रख पाई. यहां तक कि मास्कों ओलंपिक के फाइनल में स्पेन को हराने में भी खासी मशक्कत करनी पड़ी थी. स्पेन ने अंतिम समय में इस तरह दवाब बना दिया था कि अगर पांच दस मिनट का खेल और होता तो बाजी पलट भी सकती थी. हॉकी के अग्रणी देशों की गैरमौजूदगी में स्वर्ण पाना भारत के लिए संतोष की बात थी लेकिन इठलाने की नहीं. भारतीय हॉकी में स्थिति यहां तक आई कि दक्षिण कोरिया, जापान और चीन भी हमसे आगे बढते हुए दिखने लगे. भारतीय हॉकी अपने संगठन से जुड़े विवादों में रही. दिग्गज खिलाड़ी भी ज्यादा नहीं टिकते रहे. साथ ही अस्सी के दशक में एस्ट्रो टर्फ हॉकी में जिस गति को लाया उसके लिए भारत ही नहीं पाकिस्तान भी अपने तो तैयार नहीं कर पाया. लिहाजा हॉकी पूरी तरह आस्ट्रेलिया-नीदरलैंड जर्मन के हाथों चली गई और स्पेन ब्रिटेन जैसे देश भी हमारे खिलाडियों को छकाने लगे. यही पर स्टेमिना भी हावी हुआ. एक नहीं कई मैच हैं जहां अंतिम समय में भारत को गोल खाने पड़े और मैच हाथ से जाता दिखा. गति के खेल के साथ-साथ पेनाल्टी कार्नर में दक्षता की कमी ने गोल के अवसरों को छीना. जबकि पश्चिम की टीमों के पेनाल्टी शूटरों के लिए गोल का तख्ता बजाना आसान हो गया. भारतीय टीम मैदानी खेल खेलती रही और वे गेंद को डी पर लाकर पेनाल्टी कार्नर के अवसर लेकर गोल करते रहे. ऐसा नहीं कि भारतीय टीम में स्टार खिलाड़ी नहीं आए. मोहम्मद शाहिद जफर इकबाल, धनराज पिल्ले, गगन, अजित सिंह से लेकर सरदारा सिंह तक हमें विश्व स्तरीय खिलाड़ी हमेशा मिलते रहे. लेकिन हॉकी को जिस तरह तालमेल और गति देने की जरूरत थी उसमें भारत संभल नहीं पाया. एक समय यह भी लगने लगा कि हॉकी में अब हमारे पास सुनहरे दिनों की गाथा ही बची है. हॉकी में कोच भी आए लेकिन मैदानी मुकाबलों में कुछ बात हमेशा रह जाती थी. रिक चाल्र्सवर्थ जैसे हॉकी खिलाड़ी को भी भारतीय हॉकी के ढर्रे को सुधारने का जिम्मा दिया गया. हॉकी को संचालित करने वाले दोनों संगठनों के विवादों में सब कुछ होता रहा सिवा हॉकी के. एक समय वह भी आया था जब हम ओलंपिक नहीं खेल पाए. वह भारतीय हॉकी के रसातल में जाने का सबसे कटु अनुभव था. लेकिन अब स्थितियां काफी सुधरी हैं. जिस तरह की हॉकी अब खेली जा रही है उसमें भारत विश्वस्तरीय टीमों में एक है. वह कभी हारता है तो कभी जीतता भी है. हर बडी टीम से चार पांच गोल खा जाने की नियति में बदलाव हुआ है. एक तरफ पेनाल्टी कार्नर से गोल करने की दक्षता बढ़ी है, वहीं रुपिंदर जैसे स्ट्राइकरों ने हॉकी में विश्वास जताया है. भारत के पास इस समय दुनिया के बेहतर गोलकीपर है. सुल्तान अजलान शाह कप, एशियन गेम्स मे भारतीय टीम अपने इरादों को बताते हुए दिखी. खासकर रुपिंदर का खेल तो इस तरह छाया है कि उन्हें दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ड्रैग फील्डर बताया जा रहा है. चीफ कोच रोलेट ओल्टमैंस ने भी टीम को नए सिरे से संवारा है. भारतीय टीम अब नए हौसलों के साथ है. दमखम के मामले में अब गोरे लोग भारतीय हॉकी खिलाडियों पर ज्यादा हावी नहीं होते. भारत एशियन चैंपियन तो बना ही है लेकिन विश्व स्तर पर भी उसकी चुनौती को अब दुनिया की टीमें गंभीरता से ले रही है. हाल के समय में भारतीय टीम में जो सुधार हुए हैं और कुछ बड़ी सफलताएं भी मिली हैं उससे हॉकी के लिए फिर माहौल बनता दिख रहा है. लोग फिर हॉकी को देखने लगे हैं. हॉकी लीग ने खिलाडियों को काफी कुछ सीखने का अवसर दिया है. बेशक अभी भी भारतीय हॉकी कलात्मक हॉकी के साथ ही है लेकिन अब वह फिर से गोल अर्चिज करने लगी है. हम हारने के लिए ही मैदान में उतरने वाली धारणा को छोड़ हॉकी फिर रफ्तार पकड़ रही है. ओलंपिक या विश्व कप में अब केवल स्थान भरने के लिए टीम नहीं जाती. इसका रुझान भारतीयों में दिख रहा है. नए खिलाड़ियों के हौंसले के साथ लौट रही हॉकी की रंगत इधर महिलाओं ने भी परचम लहराया. सिंगापुर में भारतीय हॉकी टीम ने जिस तरह आखिरी तीस सैंकेड में गोल कर भारत को जीत हासिल दिलाई वह याद करने लायक है. जहां हॉकी में हम आखिरी समय में गोल खाते रहे वहीं महिला हॉकी इस बार इतिहास बदल रही थी. आखिरी तीस सैंकेड में पेनाल्टी कोर्नर से जिस तरह गोल किया वह दर्शनीय शॉट था. इसके बाद भारतीय खेमे में खुशी का आगाज था. चीन के साथ खिताब के लिए भारत का यह कड़ा मुकाबला था. लेकिन भारतीय टीम ने अच्छी पासिंग और कड़ी मार्किंग की. भारतीय महिला हॉकी 2013 में उपविजेता थी. भारतीय हॉकी टीम ने अनुशासित हॉकी खेली. दीपिका रानी का आत्मविश्वास बढ़ा है. उसके पेनाल्टी कार्नर ने भारत को दीपावली का उपहार दे दिया. गौर करने लायक बात यह भी कि लीग मैच में चीन ने भारत को पराजित किया था. लेकिन फाइनल में भारत ने सबक लेकर कोई चूक नहीं की और यह भी देखने लायक बात है कि लीग में भी भारतीय महिला हॉकी टीम ने चीन के अलावा कोई मैच नहीं खोया. खेलों में पुरुष हॉकी के साथ-साथ महिला टीम का लौटता आत्मविश्वास हॉकी की नई कहानी लिखने को तैयार है. महिला हॉकी टीम में तीन-चार खिलाड़ी विश्व स्तरीय खिलाड़ी हैं. भारतीय हॉकी टीमों का ये विजयी आगाज हॉकी को फिर से लोकप्रिय बना सकता है. खासकर हॉकी इंडिया लीग मैचों के चलते भी हॉकी के लिए नया वातावरण बना है. क्रिकेट में जीत की सुर्खिया अब चौंकाती नहीं है. लेकिन हॉकी की जीत रोमांचकारी लगती है. कहीं न कहीं सपने जगाती है कि दुनिया में छाने के लिए फिर तैयार हैं. एक खेल जो हमारा था उसमें बादशाहत तो चाहिए ही. कुछ उम्मीदें बढ़ी हैं. सच है कि हॉकी की रंगत बढ़ी है. पर आगे एकदम आसां सफऱ भी नहीं है.
View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

दो प्लेन, एक राष्ट्रपति… दुनिया देखती रह गई, पुतिन की सीक्रेट फ्लाइट का भेद दिल्ली पहुंचकर खुला!
दो प्लेन, एक राष्ट्रपति… दुनिया देखती रह गई, पुतिन की सीक्रेट फ्लाइट का भेद दिल्ली पहुंचकर खुला!
'नाम नहीं जुड़वाओगे तो राशन-पानी बंद', एमपी के मंत्री ने दिया ऐसा बयान, मच गया बवाल
'नाम नहीं जुड़वाओगे तो राशन-पानी बंद', एमपी के मंत्री ने दिया ऐसा बयान, मच गया बवाल
US Cuts Work Permit: वर्क परमिट को लेकर ट्रंप का बड़ा फैसला, भारतीयों पर लटकी तलवार, जानें क्या होगा इससे?
वर्क परमिट को लेकर ट्रंप का बड़ा फैसला, भारतीयों पर लटकी तलवार, जानें क्या होगा इससे?
UP AQI: नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
ABP Premium

वीडियोज

सुंदर बच्चियों की 'सीरियल किलर' LADY !  | Sansani | Crime News
India में दिख गया मोदी-पुतिन के 'दोस्ती का दम'...छा गई कार वाली 'केमेस्ट्री'
व्यापार से वॉर तक ये दोस्ती कितनी दमदार ?, देखिए सबसे सटीक विश्लेषण । Punit India Visit
Bharat ki Baat: भारत में दिखा 'दोस्ती का दम', पुतिन का जबरदस्त वेलकम! | Putin India Visit
पुतिन दौरे पर राहुल का 'डिप्लोमेसी बम'...दावे में कितना दम? । Sandeep Chaudhary । Putin India Visit

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
दो प्लेन, एक राष्ट्रपति… दुनिया देखती रह गई, पुतिन की सीक्रेट फ्लाइट का भेद दिल्ली पहुंचकर खुला!
दो प्लेन, एक राष्ट्रपति… दुनिया देखती रह गई, पुतिन की सीक्रेट फ्लाइट का भेद दिल्ली पहुंचकर खुला!
'नाम नहीं जुड़वाओगे तो राशन-पानी बंद', एमपी के मंत्री ने दिया ऐसा बयान, मच गया बवाल
'नाम नहीं जुड़वाओगे तो राशन-पानी बंद', एमपी के मंत्री ने दिया ऐसा बयान, मच गया बवाल
US Cuts Work Permit: वर्क परमिट को लेकर ट्रंप का बड़ा फैसला, भारतीयों पर लटकी तलवार, जानें क्या होगा इससे?
वर्क परमिट को लेकर ट्रंप का बड़ा फैसला, भारतीयों पर लटकी तलवार, जानें क्या होगा इससे?
UP AQI: नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
मिचेल स्टॉर्क ने हरभजन सिंह को भी पीछे छोड़ा, बनाया ये खास रिकॉर्ड
मिचेल स्टॉर्क ने हरभजन सिंह को भी पीछे छोड़ा, बनाया ये खास रिकॉर्ड
नंदमुरी बालकृष्ण की 'अखंडा 2' की रिलीज टली, शो से कुछ घंटे पहले प्रीमियर भी हुआ कैंसिल, मेकर्स ने जारी किया बयान
नंदमुरी बालकृष्ण की 'अखंडा 2' की रिलीज टली, शो से कुछ घंटे पहले प्रीमियर भी कैंसिल
स्टील के बर्तन में कभी न रखें ये फूड आइटम्स, हो सकता है फूड पॉइजनिंग का खतरा
स्टील के बर्तन में कभी न रखें ये फूड आइटम्स, हो सकता है फूड पॉइजनिंग का खतरा
कम अपराध, ज्यादा सम्मान… दुनिया के वे देश, जहां महिलाएं महसूस करती हैं सबसे ज्यादा सुरक्षित
कम अपराध, ज्यादा सम्मान… दुनिया के वे देश, जहां महिलाएं महसूस करती हैं सबसे ज्यादा सुरक्षित
Embed widget