एक्सप्लोरर

क्या आरएसएस की बैठक में मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि यूपी में किसी राजनीतिक बदलाव का संकेत है?

हरियाणा के समालखा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक 12 मार्च को शुरू हुई. बैठक में समाजवादी पार्टी के दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव के साथ ही समाजवादी नेता शरद यादव, वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी और अभिनेता-फिल्म निर्माता सतीश कौशिक को श्रद्धांजलि दी गई.

आरएसएस ने इस बैठक में उन नेताओं और मशहूर हस्तियों को श्रद्धांजलि दी, जिनका पिछले एक साल में निधन हुआ है. इस सूची में ऐसे तो 100 से ज्यादा नाम शामिल हैं, लेकिन एक नाम ऐसा है, जिससे राजनीतिक गलियारे में एक नई बहस शुरू हो गई है. वो नाम है समाजवादी पार्टी के संस्थापक और अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव का. ऐसे तो ये एक शिष्टाचार के तहत पहल है, लेकिन एक साल बाद ही लोकसभा चुनाव होना है और उत्तर प्रदेश केंद्र की सत्ता के लिहाज से सबसे प्रमुख राज्य है, तो इस पर सियासी चर्चा होगी ही. मुलायम सिंह यादव से उत्तर प्रदेश के यादव समुदाय का लगाव किसी से छिपा नहीं है.

चूंकि मुलायम सिंह यादव की छवि अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन को दबाने और कुचलने वाले नेता के तौर रही है. इस वजह से आरएसएस की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि देने के सियासी मायने भी तलाशे जा रहे हैं.

ये हम सब जानते है कि मुलायम सिंह यादव हमेशा ही आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा का विरोध करते रहे. जब राम मंदिर आंदोलन 80 और 90 के दशक में खूब उबाल मार रहा था, उस वक्त भी मुलायम सिंह यादव ने आरएसएस और बीजेपी का जमकर विरोध किया था. इतना ही नहीं 30 अक्टूबर 1990 को कारसेवकों पर गोली चली थी, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई थी. उस वक्त मुलायम सिंह यादव ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और ये भी कहा गया कि मुलायम सिंह के कहने पर ही पुलिस ने बेकाबू भीड़ को काबू करने के लिए गोली चलाई थी. इस घटना के बाद मुलायम सिंह यादव और बीजेपी के बीच राजनीतिक तनातनी काफी बढ़ गई थी.

लेकिन अब उन्हें श्रद्धांजलि देकर आरएसएस उत्तर प्रदेश के यादव समुदाय को शायद सकारात्मक संदेश देना चाहता है. पिछले 32 साल से वहां के यादवों में मुलायम और आरएसएस को लेकर एक अवधारणा बनी हुई है. तीन दशक से भी ज्यादा वक्त से उत्तर प्रदेश में यादवों को समाजवादी पार्टी का कोर वोट बैंक माना जाता है. उसकी सबसे बड़ी वजह मुलायम सिंह यादव ही रहे हैं. आरएसएस यूपी की जनता को ये भी संदेश देना चाह रहा है कि बीजेपी हर समुदाय को साथ लेकर चलने की कोशिश कर रही है.

बीजेपी को भी ये अच्छे से पता है कि अगर 2024 में केंद्र की सत्ता को बरकरार रखना है तो उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से ज्यादा से ज्यादा सीटों पर उसे जीत हासिल करनी होगी. 2014 और 2019 में बीजेपी के ऐतिहासिक प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान था. 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को यूपी में 73 सीटों पर जीत मिली थी, जिसमें से 71 सीटें बीजेपी के खाते में गई थी. वहीं 2019 में एनडीए के खाते में 80 में से 64 सीटें गई थी, जिसमें अकेले बीजेपी को ही 62 सीटों पर जीत मिली थी.  इससे साफ है कि 2019 में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में 9 सीटों का नुकसान हुआ था.

इस बार बीजेपी चाहती है कि 2014 के प्रदर्शन को फिर से दोहरा सके और इसके हिसाब से ही चुनावी रणनीति बनाने में जुटी है. उत्तर प्रदेश में 2024 में बीजेपी को सबसे बड़ी चुनौती समाजवादी पार्टी से ही मिलने वाली है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद जिस तरह से अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन में सुधार किया था, उससे साफ हो गया था कि 2024 में यूपी में बीजेपी की राह आसान नहीं रहने वाली. 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 64 सीटों के फायदे के साथ 111 सीटों पर जीत दर्ज की थी और उसका वोट शेयर भी 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ा था.

उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर यादव और मुस्लिम वोटों का अच्छा-खासा महत्व है. पिछले 30 साल से ये दोनों ही वोट बैंक समाजवादी पार्टी की राजनीति का आधार भी रहा है. 2024 का लोकसभा चुनाव मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद ये पहला होगा जिसमें समाजवादी पार्टी उनकी मौजूदगी के बिना सियासी रण में उतरेगी. बीजेपी चाहती है कि यूपी के मुस्लिम और यादव वोट के बीच उसकी पकड़ बढ़े.

यहीं वजह है कि पिछले कुछ महीनों से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी नेताओं को पसमांदा मुसलमानों से संवाद बढ़ाने का निर्देश देते आ रहे हैं. बीजेपी की ओर से संवाद अभियान भी शुरू किया गया है. आरएसएस के नेता भी लगातार मुस्लिम वर्ग के प्रबुद्ध चेहरों से मिल रहे हैं.

इस कड़ी की दूसरी पहल के तहत बीजेपी उत्तर प्रदेश में यादवों के बीच भी जनाधार बढ़ाना चाह रही है. एक अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 8 से 10 फीसदी मतदाता यादव समुदाय से हैं. वहां ओबीसी समुदाय में ये सबसे बड़ा वर्ग है. मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू होने के बाद से ही ये वर्ग मुलायम सिंह यादव का कोर वोटर बना गया.  पिछले साल यादव बहुल आजमगढ़ और मुस्लिम बहुल रामपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी की जीत के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि 2024 में बीजेपी यहां की सभी 80 सीटों पर जीतेगी.

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी यादव, जाटव और पसमांदा मुसलमानों को साधने में जुटी हुई है. अगर यादव और पसंमादा मुसलमानों के वोट में बीजेपी की पकड़ थोड़ी बहुत भी बढ़ती है, तो उसके यूपी मिशन को हासिल करने में ये काफी मददगार साबित होगा. यूपी के यादवों के बीच मुलायम सिंह का कद और सम्मान बहुत ज्यादा है, इसमें कोई दो राय नहीं है.

राम मंदिर आंदोलन के वक्त से ही यूपी के यादवों में ये राय बनी हुई है कि आरएसएस-बीजेपी और मुलायम सिंह यादव के बीच न सिर्फ़ राजनीतिक बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी छत्तीस का आंकड़ा रहा है. अगर बीजेपी को यादवों का वोट हासिल करना है, तो उसे दिखाना होगा कि मुलायम सिंह यादव के साथ उसकी अदावत पूरी तरह से राजनीतिक रही है और व्यक्तिगत सम्मान में कोई दुराव नहीं है. आरएसएस भी कुछ ऐसा ही संदेश देना चाहेगा.

इस साल मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत दूसरे सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान पद्मविभूषण देने का ऐलान किया गया था. अक्टूबर 2022 में मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया था. उसके बाद उनके समर्थकों ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की भी मांग की थी. जब जनवरी में पद्म पुरस्कार की घोषणा होती है, तो किसी को भी ये जल्दी नरेंद्र मोदी सरकार मुलायम सिंह यादव को पद्मविभूषण से सम्मानित करेगी.  उस वक्त भी इसके सियासी मायने निकाले गए थे. यूपी में यादवों के बीच पकड़ बढ़ाने के नजरिए से इसे राजनीतिक विश्लेषकों ने बहुत ही प्रभावी कदम बताया था.

पिछले 9 साल से बीजेपी उत्तर प्रदेश में ओबीसी के बीच मजबूत पकड़ बनाने में कामयाब रही है. इसके बावजूद वहां पिछड़ों में सबसे प्रभावशाली यादव समुदाय के बीच उसका कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ा है. अब उसकी कोशिश है कि किसी भी तरह से समाजवादी पार्टी के परंपरागत और भरोसेमंद वोट बैंक को अपनी ओर खींचा जाए. अगर अगले साल बीजेपी यूपी में यादवों के वोट बैंक में  थोड़ा बहुत भी सेंधमारी करने में कामयाब रही तो, सूबे में उसका प्रदर्शन 2014 के जैसा रह सकता है.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार हैं.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Lok Sabha Elections: थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
'जो लोग नाराज थे वो भी...', अखिलेश यादव ने मंच से राजा भैया की तरफ किया बड़ा इशारा
'जो लोग नाराज थे वो भी...', अखिलेश यादव ने मंच से राजा भैया की तरफ किया बड़ा इशारा
Cancer: कैंसर से जुड़ी बातों को मरीज को कभी नहीं बताते हैं डॉक्टर, जानें क्यों?
कैंसर से जुड़ी बातों को मरीज को कभी नहीं बताते हैं डॉक्टर, जानें क्यों?
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के पुराने इंटरव्यू का भ्रामक दावे के साथ क्लिप्ड वीडियो किया जा रहा वायरल
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के पुराने इंटरव्यू का भ्रामक दावे के साथ क्लिप्ड वीडियो किया जा रहा वायरल
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Socialise: Jitendra Kumar, Chandan Roy, Deepak Mishra ने बताई 'Panchayat-3' की अनसुनी कहानीRicky Ponting ने भारतीय टीम का हेड कोच बनने से किया मना, BCCI ने की थी बात | Sports LIVEAaj ka Rashifal 24 May 2024 : इन 3 राशिवालों पर बरसेगी लक्ष्मी जी की कृपा

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Lok Sabha Elections: थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
थम गया छठे चरण का चुनाव प्रचार, मेनका, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान की साख का अब 25 मई को होगा इम्तिहान
'जो लोग नाराज थे वो भी...', अखिलेश यादव ने मंच से राजा भैया की तरफ किया बड़ा इशारा
'जो लोग नाराज थे वो भी...', अखिलेश यादव ने मंच से राजा भैया की तरफ किया बड़ा इशारा
Cancer: कैंसर से जुड़ी बातों को मरीज को कभी नहीं बताते हैं डॉक्टर, जानें क्यों?
कैंसर से जुड़ी बातों को मरीज को कभी नहीं बताते हैं डॉक्टर, जानें क्यों?
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के पुराने इंटरव्यू का भ्रामक दावे के साथ क्लिप्ड वीडियो किया जा रहा वायरल
कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के पुराने इंटरव्यू का भ्रामक दावे के साथ क्लिप्ड वीडियो किया जा रहा वायरल
Go Digit IPO: गो डिजिट आईपीओ की लिस्टिंग ने विराट, अनुष्का को दिया तगड़ा रिटर्न, हुआ इतने करोड़ का मुनाफा
गो डिजिट आईपीओ की लिस्टिंग ने विराट, अनुष्का को दिया तगड़ा रिटर्न
Flower Moon 2024: बुद्ध पूर्णिमा पर आसमान में दिखेगा फ्लावर मून, जानिए क्या है इस दिन फूल और चंद्रमा का क्नेक्शन
बुद्ध पूर्णिमा पर आसमान में दिखेगा फ्लावर मून, जानिए क्या है इस दिन फूल और चंद्रमा का क्नेक्शन
नींबू बेचने वाला कैसे बना लखपति, 20 रुपये के लिए तरसा, आज 60 लाख महीने कमाता है ये यूट्यूबर
कभी 20 रुपये के लिए तरसा, आज 60 लाख महीने कमाता है ये यूट्यूबर
Patal Lok: पाताल लोक का रास्ता कहां से होकर जाता है,पंपापुर में कौन राज करता था?
पाताल लोक का रास्ता कहां से होकर जाता है,पंपापुर में कौन राज करता था?
Embed widget