एक्सप्लोरर

तीन तलाक: उलेमा की नजर में सज़ा और जुर्माने से लगेगी लगाम!

इन दिनों तीन तलाक का मुद्दा मस्जिदों, मदरसों और पाठशालाओं की परिधि से बाहर निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है. मीडिया में जोरदार बहस छिड़ी हुई है. इसे धार्मिक बनाम सामाजिक मुद्दे की कसौटी पर परखा जा रहा है. लेकिन ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड इसमें किसी तब्दिली के लिए तैयार नहीं है. हालांकि, बोर्ड ने कुछ नरमी दिखाते हुए निकाहनामे में कुछ शर्तें डालने और तीन तलाक के ग़लत इस्तेमाल को रोकने के लिए तलाक देने वालों के सामाजिक बायकाट की अपील जरूर की.

मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड के सामाजिक बायकाट की अपील पर मुस्लिम महिलाओं और बुद्धिजीवियों ने तीखी टिप्पणी की. इनका मानना है कि उस व्यक्ति का सामाजिक बायकाट करने का अधिकार बोर्ड को किसने दिया, क्या वह कोई पंचायत है जो इस तरह का फरमान जारी कर रही है यदि नहीं तो वह यह बात कैसे कह रहा है. वैसे भी तलाक देने वाला मर्द दूसरी शादी करने के लिए तो आज़ाद होता है लेकिन तीन तलाक पाई महिला, अगर उसके पास बच्चे भी हैं, को इस बायकाट से क्या मिलेगा जैसे गंभीर सवालों पर बोर्ड मौन है.

इससे इस धारणा को बल मिल रहा है कि बोर्ड ने ऐसा फ़रमान वास्तव में दबाव के चलते जारी किया है अन्यथा उसके पास तीन तलाक़ पाई महिलाओं के पुर्नवास के लिए कोई ठोस योजना अथवा उसकी रुपरेखा नहीं है. स्वयं महिलाऐं इसे व्यवहारिक नहीं मान रही है. ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड की सदस्य उज़मा नाहीद मानती हैं कि बायकाट वहां तो संभव है जहां बिरादारियाँ बनी हुई हैं, पारिवारिक व्यवस्था है, छोटी आबादियाँ हैं लेकिन अब गाँव भी सिमट कर शहरों में आ लगे हैं. वर्तमान सूरतेहाल यह है कि एक का पड़ोसी दूसरे राज्य का है तो दूसरे पड़ोसी का किसी अन्य राज्य का है. ऐसी सूरत में कौन किसका सामाजिक बायकाट करेगा और क्यों करेगा?

तलाक पाई महिला के बारे में बड़े जोर शोर से कहा जाता है कि तलाक की स्थिति में उसके बाप का घर, बाप न हों तो फिर भाई और उसके बाद अन्य रिश्तेदारों का नाम लिया जाता है जो सुनने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन व्यवहार में उतना ही असंभव है. एक ऐसे समाज में जहां बेटे अपना बाप तक को बेघर कर देते हैं, तलाक पाई बहन को उसके बच्चों समेत कौन रखेगा, यह अपने अपने में एक बड़ा सवाल है. शहरों में छोटे मकान भी ऐसी स्थिति से निपटने में असमर्थ हैं. इस बाबत न तो कोई पहल मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड ने अपनी स्थापना के बाद से की और न ही कोई एैसा कोष बनाया जिससे इन महिलाओं की समय पर सहायता की जा सके.

बोर्ड और अन्य मुस्लिम संगठनों द्वारा बार-बार यह बात दोहरायी जाती है कि मुसलमानों में तीन तलाक का मुद्दा इतना बड़ा नहीं है जितना बड़ा बताया जाता है. अथवा मुस्लिम समाज में तीन तलाक पाई महिलाओं की संख्या काफी कम है. लेकिन ’द हिन्दू’ में छपी एक एनजीओ के सर्वे की बात करें तो उसके मुताबिक मुसलमानों में तीन तलाक की दर बहुत ज्यादा है. मुसलमानों में तलाक के 525 मामलों में 349 मामले तीन तलाक के हैं अर्थात तलाक देने वाले तीन चैथाई मर्दों ने तीन तलाक का इस्तेमाल किया है.

ऐसी सूरत में तीन तलाक का ग़लत इस्तेमाल कैसे रोका जाए, इसे लेकर कई मत हैं. कुछ मुस्लिम उलेमाओं का कहना है कि सरकार को अग्रेजों द्वारा बनाए काज़ी एक्ट को दोबारा अमल में लाना चाहिए. इसके तहत काज़ी को यह अधिकार होगा कि वह तीन तलाक के ग़लत इस्तेमाल पर उसके विरुद्ध दंडनात्मक और आर्थिक जुर्माने की सिफारिश करे.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

HD Revanna Bail: कर्नाटक अश्लील वीडियो कांड के आरोपी एचडी रेवन्ना को राहत, किडनैपिंग केस में मिली जमानत
कर्नाटक अश्लील वीडियो कांड के आरोपी एचडी रेवन्ना को राहत, किडनैपिंग केस में मिली जमानत
VIDEO: तेज प्रताप यादव को आया गुस्सा, मंच पर RJD कार्यकर्ता को दिया धक्का, सभी हो गए हैरान
तेज प्रताप को आया गुस्सा, मंच पर RJD कार्यकर्ता को दिया धक्का, सभी हैरान
LSD नहीं ये थी 'श्रीकांत' एक्टर राजकुमार राव की पहली फिल्म, बस मिला था एक लाइन का डायलॉग
एलएसडी नहीं ये थी राजकुमार राव की पहली फिल्म, बस मिला था एक लाइन का डायलॉग
Chabahar Port: भारत और ईरान के इस फैसले से पाकिस्तान-चीन को लग जाएगी मिर्ची, जानें क्या है मामला
भारत और ईरान के इस फैसले से पाकिस्तान-चीन को लग जाएगी मिर्ची, जानें क्या है मामला
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Sandeep Chaudhary: क्या 2024 चुनावों में डोला बीजेपी वोटर्स का मन? अभय दूबे को सुनिए | Election 2024Sandeep Chaudhary: सरकार बनाने में पूर्वांचल कितना अहम? Loksabha Election 2024 | PM Modi | BreakingSandeep Chaudhary: पूर्वांचल की राजनीति में कौन कितना अहम? संदीप चौधरी को सुनिए | Loksabha ElectionUP में BJP को ज्यादा सीटें निकालना मुश्किल, फील्ड में मौजूद पत्रकारों का आकलन-वरिष्ठ पत्रकार का दावा

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
HD Revanna Bail: कर्नाटक अश्लील वीडियो कांड के आरोपी एचडी रेवन्ना को राहत, किडनैपिंग केस में मिली जमानत
कर्नाटक अश्लील वीडियो कांड के आरोपी एचडी रेवन्ना को राहत, किडनैपिंग केस में मिली जमानत
VIDEO: तेज प्रताप यादव को आया गुस्सा, मंच पर RJD कार्यकर्ता को दिया धक्का, सभी हो गए हैरान
तेज प्रताप को आया गुस्सा, मंच पर RJD कार्यकर्ता को दिया धक्का, सभी हैरान
LSD नहीं ये थी 'श्रीकांत' एक्टर राजकुमार राव की पहली फिल्म, बस मिला था एक लाइन का डायलॉग
एलएसडी नहीं ये थी राजकुमार राव की पहली फिल्म, बस मिला था एक लाइन का डायलॉग
Chabahar Port: भारत और ईरान के इस फैसले से पाकिस्तान-चीन को लग जाएगी मिर्ची, जानें क्या है मामला
भारत और ईरान के इस फैसले से पाकिस्तान-चीन को लग जाएगी मिर्ची, जानें क्या है मामला
Baby Hiccups: छोटे बच्चों को आखिर क्यों आती है ज्यादा हिचकी, क्या है इसका कारण और उपाय, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर
छोटे बच्चों को आखिर क्यों आती है ज्यादा हिचकी, क्या है इसका कारण?
अखिलेश यादव पर जूते-चप्पल नहीं फूल मालाएं बरसा रहे हैं वीडियो में लोग
अखिलेश यादव पर जूते-चप्पल नहीं फूल मालाएं बरसा रहे हैं वीडियो में लोग
Kidney Transplant: क्या ट्रांसप्लांट के वक्त पूरी तरह हटा देते हैं खराब किडनी, ट्रीटमेंट में कितने रुपये होते हैं खर्च? जानें पूरा प्रोसेस
क्या ट्रांसप्लांट के वक्त पूरी तरह हटा देते हैं खराब किडनी, ट्रीटमेंट में कितने रुपये होते हैं खर्च? जानें पूरा प्रोसेस
देखिए Mahindra XUV 3XO और Tata Nexon के बेस वेरिएंट का कंपेरिजन, जानिए किसे खरीदना होगी बेहतर डील?
देखिए Mahindra XUV 3XO और Tata Nexon के बेस वेरिएंट का कंपेरिजन, जानिए किसे खरीदना होगी बेहतर डील?
Embed widget