Astrology: क्रोध क्या है ? इस शब्द से लगभग सभी लोग परिचित होंगे. क्रोध करने वाला हो या क्रोध का शिकार होने वाला. अधिक क्रोध दुख, अवसाद और परेशानी ही लाता है. ज्योतिष के अनुसार क्रोध के क्या कारण है, आज हम लोग इस बात पर चर्चा करेंगे. 


कई लोगों को बहुत अधिक क्रोध आता है. तो कई लोग छोटी-छोटी बात पर उखड़ जाते हैं. कुछ लोगों को तो इतना भयंकर क्रोध आता है कि उनको यह पता ही नहीं होता कि वह क्रोध में कितना नकारात्मक काम कर जाते हैं. क्रोध हमारी सोचने समझने की शक्ति को ही भस्म  कर देता है. 


व्यक्ति का स्वभाव उसके व्यक्तित्व निर्धारण की सबसे पहली और सबसे प्रभाव पूर्ण कड़ी होती है और क्रोध के कारण इसकी मजबूती कमजोर पड़ जाती है. स्वभाव किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्धारण में एक नींव की तरह कार्य करता है, आखिर इस क्रोध का ज्योतिषीय कारण क्या है और किस तरीके से क्रोध को कंट्रोल किया जा सकता है.   


क्रोध का आकलन कुण्डली में लग्न द्वारा किया जाता है. दूसरा आपकी वाणी जहां से क्रोध प्रकट होगा. तीसरा मस्तिष्क जिससे सभी चीजें नियंत्रित होती हैं और क्रोध आने पर मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है,  अक्सर कहा भी जाता है कि अमुक व्यक्ति का दिमाग बहुत गर्म है. 


क्रोध ऊर्जा और अग्नि का एक रूप है. जब फायरी प्लेनेट व्यक्ति के अन्दर ऊर्जा बढ़ाता है तो इसका साइड इफेक्ट क्रोध बनकर व्यक्ति के बाहर आता है. वहीं कुंडली में चंद्रमा मूड को कंट्रोल करता है. जब किसी तरीके से कुंडली में या अंतरिक्ष में अग्नि तत्व के ग्रह जैसे- सूर्य और मंगल चंद्रमा के पास आ जाते हैं या इनसे संबंध बना लेते हैं तो मूड गर्म हो जाता  है.


राशियों के अनुसार क्रोध का कनेक्शन



  • चंद्रमा मन का कारक है लेकिन अगर किसी की कुंडली में चंद्रमा उसके दिमाग के घर का आधिपत्य भी प्राप्त कर लें तो मानसिक स्थिति  पर उसका पूरा कंट्रोल हो जाता है यह स्थिति मीन लग्न और मीन राशि वालों के कुण्डली में बनती है. 

  • वहीं अगर चंद्रमा का संबंध वाणी के घर से हो जाए तो वाणी कि सौम्यता व शीतलता खत्म हो जाती है और व्यक्ति क्रोध में आग बबूला होने लगता है अब यह स्थिति मिथुन लग्न या मिथुन राशि वालों के लिए बनती है.

  • वहीं अगर चंद्रमा लग्न यानी स्वयं का स्वामी हो जाए तो फिर क्रोध प्रचंड हो जाता है, इसलिए कर्क लग्न और कर्क राशि वालों के स्वामी चंद्रमा के साथ यदि मंगल की मजबूत स्थिति बन जाए तो ऐसे व्यक्तियों को क्रोध जल्दी आता है.

  • राहु बहुत भड़काऊ ग्रह है यह बिना बात के व्यक्ति को उकसा कर बात का बतंगड़ बना देता है. दरअसल राहु धमाका कराता है किसी भी चीज का अचानक विध्वंसक रूप से प्रकट हो जाना राहु के कारकत्व का एक कारण है. इसलिए राहु की संगत अगर चंद्रमा या मंगल के साथ हो जाए तो क्रोध अधिक आने लगता है.

  • क्रोध के भी कई रूप या अवस्थाएं होती हैं जैसे कुछ परिस्थितियों में किसी गलत बात का विरोध करने या किसी व्यक्ति की गलती पर उसे समझाने के लिए क्रोध करना आवश्यक होता है.


सकारात्मक क्रोध - कुंडली में जब मंगल और बृहस्पति का योग हो तो ऐसे में व्यक्ति का क्रोध सकारात्मक रूप में होता है आवश्यकता होने पर ही व्यक्ति क्रोध करता है.


अहम् वश क्रोध - सूर्य और मंगल का योग व्यक्ति को अहंकार युक्त क्रोध देता है.


गुप्त क्रोध - राहु और बुध का अष्टम भाव में होना या बुध के कमजोर व पीड़ित होने पर व्यक्ति अपने क्रोध को मन में दबाकर रखता है आसानी से क्रोध का प्रदर्शन नहीं कर पाता.


नकारात्मक क्रोध - राहु और मंगल का योग व्यक्ति के क्रोध को प्रचंड करके विध्वंसात्मक रूप देता है अतः ऐसा व्यक्ति अपने क्रोध पर  नियंत्रण नहीं रख पाता और गलत निर्णय करके हिंसात्मक स्थिति उत्पन्न कर लेता है यह क्रोध का नकारात्मक रूप है.


तो हम कह सकते हैं कि क्रोध का मुख्य कारक मंगल है परंतु व्यक्ति के क्रोध को विध्वंसात्मक रूप देने या क्रोध को नकारात्मक रूप देने का कार्य "राहु" ही करता है अतः क्रोध की प्रचंडता में मंगल के अतिरिक्त मुख्य रूप से राहु की ही भूमिका है. 


क्रोध कम करने के उपाय-
-गणेश स्त्रोत का नियमित पाठ करें. 
-मंगलवार को हनुमान जी को अनार चढ़ाए.
-मंगलवार को गुड़ या साबुत लाल मसूर का दान करें.
-मस्तक पर सफ़ेद चन्दन का तिलक लगाए. 


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