कुछ लोगों के कपड़े देखकर उनके रोजगार का पता चल जाता है.

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ऐसे ही कुछ है वकीलों के काला कोट के साथ.

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लेकिन आखिर नीले, पीले या सफेद की जगह काले कोट ही क्यों पहने जाते है.

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 इतिहास के अनुसार वकालत की शुरुआत 1327 में हुई थी.

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उस वक्त काले कोट की जगह वकील लाल कपड़े और भूरे रंग का गाउन पहना करते थे.

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वकीलों को आम लोगों से अलग दिखाने के लिए काले रंग के कोट पहनने का प्रस्ताव 1637 में आया था.

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अंग्रेजी हुकूमत के बाद भारत में काले कोट की व्यवस्था को 1965 में अनिवार्य कर दिया गया. 

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काला कोट पहनने के पीछे इस बात का भी तर्क दिया जाता है कि यह जल्दी गंदा नहीं होता.

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इससे न्यायाधीश रोज ड्रेस कोड के कपड़े पहनकर अदालत जा सकते है.

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काले कोट को अनुशासन और आत्मविश्वास का प्रतीक भी माना जाता है.