टॉयलेट की सीट ऐसी होनी चाहिए कि उपयोग

करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.

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यह दिशा नकारात्मक ऊर्जा को दूर

रखती है और सकारात्मकता लाती है.

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अगर संभव न हो, तो आप सीट को पश्चिम दिशा में भी रख सकते हैं,

लेकिन पूर्व या दक्षिण-पूर्व दिशा में सीट रखना वास्तु के अनुसार सही नहीं माना जाता है.

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टॉयलेट में हमेशा लकड़ी के दरवाजे होने चाहिए,

क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को कम करता है.

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टॉयलेट में खिड़की या रोशनदान पूर्व या उत्तर दिशा में

होना चाहिए ताकि अच्छी रोशनी और हवा का प्रवाह बना रहे.

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अगर खिड़की या रोशनदान बनवाना संभव न हो तो,

एक एग्जॉस्ट फैन का उपयोग किया जा सकता है.

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खासकर इसे हमेशा पूर्वी कोने में लगाना चाहिए,

जिससे खराब हवा को बाहर निकालने में सहायक हो.

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अगर आपका टॉयलेट बेडरूम से जुड़ा हो,

तो हमेशा दरवाजा बंद रखें ताकि ऊर्जा का आदान-प्रदान न हो.

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टॉयलेट के सामने मंदिर नहीं होना चाहिए,

और ब्रह्म स्थान पर टॉयलेट बनवाना उचित नहीं है.

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