इसके बाद उन्हें वर्ष 1982 में जिला कोर्ट की ओर से आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई

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यूपी के कौशाम्बी गांव के रहने वाले 103 साल लखन लाल को 1977 में हत्या के प्रयास के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था

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इसके बाद उन्हें वर्ष 1982 में जिला कोर्ट की ओर से आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई

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जिला कोर्ट से मिली सजा के बाद बुजुर्ग ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

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इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश से 43 साल बाद जेल से रिहा हो गए हैं

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उन्होंने बताया कि लखन ने निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की

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उनकी अपील पर 43 साल बाद उनके हक में फैसला आया और 2 मई 2025 को उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया

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उन्होंने बताया कि लखन को शरीरा पुलिस थाना अंतर्गत उसकी बेटी के घर सुरक्षित पहुंचाया गया जहां वर्तमान में वह रह रहे हैं

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प्राधिकरण के निर्देश पर लीगल एडवाइजर अंकित मौर्य के सहयोग से उसे न्याय मिला

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लखन को गांव और अपनों में अनजाना पाकर चेहरे पर गहरी मायूसी छाई दिखी

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