उत्तर प्रदेश के लखनऊ को नवाबों का शहर कहा जाता है

यहां आपको कई ऐतिहासिक इमारतें देखने को मिलेंगी

ऐसे ही लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा यहां के भव्य इमारतों में गिना जाता है

इसका निर्माण अवध के नवाब आसफ-उद-दौला ने साल 1784 में कराया था

कहा जाता है इसका निर्माण इसलिए किया गया ताकि लोगों को रोजगार मिल सके

क्योंकि उस समय लखनऊ में अकाल पड़ गया था

इसको भूलभुलैया और आसफी इमामबाड़ा के नाम से भी जाना जाता है.

इसके निर्माण में लगभग 8 से 10 लाख रुपये की लागत आई थी

हैरान कर देने वाली बात तो ये है यहां अंदर जाने के लिए यहां 1024 से भी ज्यादा छोटे-छोटे रास्तों का जाल है

वहीं बाहर निकलने के लिए सिर्फ 1 रास्ता हैं वो भी 1 मिनट का.

बता दें, बड़ा इमामबाड़ा ना तो पूरी तरह से मस्जिद है और न ही मकबरा है.