संत प्रेमानंद महाराज के अनुसार, भगवान के नाम या मंत्र का आदर मन से करना चाहिए, न गाड़ियों पर.

Published by: अंकुर अग्निहोत्री
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गाड़ी जब रोड पर चलती है तो उसपर कीचड़ और धूल जमती है, जिससे भगवान का नाम अपवित्र हो जाता है.

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स्टीकर फटने या गंदा होने से भी उनके नाम का अपमान होता है.

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महाराज जी कहते हैं कि, भक्ति मन से दिखाई जानी चाहिए, न की गाड़ियों पर स्टीकर के जरिए.

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अगर सच में श्रद्धा है तो उनकी छोटी मूर्ति या प्रतिकात्मक चिन्ह रख सकते हैं.

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मंत्र या नाम लिखने से पहले उनका सम्मान करना जरूरी है.

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शास्त्रों में भी भगवान के नाम की मर्यादा बनाए रखने पर जोर दिया जाता है.

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धार्मिक प्रतीकों को दिखावा करने से बचना चाहिए.

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इसलिए गाड़ियों पर भूलकर भी भगवान के नाम या मंत्र का स्टीकर नहीं लगाएं.

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