बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में उपन्यास आनंदमठ को लिखा था.

Published by: गौरव अग्निहोत्री
Image Source: abplive

वंदे मातरम् इसी उपन्यास का हिस्सा था, जिसने आज़ादी की भावना जगाई.

Published by: गौरव अग्निहोत्री
Image Source: abplive

गीत ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा दी थी.

Published by: गौरव अग्निहोत्री
Image Source: abplive

1908 में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ने ‘वंदे मातरम्’ पर आपत्ति जताई.

Published by: गौरव अग्निहोत्री
Image Source: abplive

जिस पर सैयद अली इमाम ने कहा- गीत मुस्लिम भावनाओं के खिलाफ है.

Published by: गौरव अग्निहोत्री
Image Source: abplive

1937 में मुस्लिम लीग ने प्रस्ताव पारित कर ‘वंदे मातरम्’ को इस्लाम विरोधी भी बताया.

Published by: गौरव अग्निहोत्री
Image Source: abplive

गीत के पहले दो छंद राष्ट्रगीत के रूप में स्वीकृत किए गए, बाकी छंद हटाए गए.

Published by: गौरव अग्निहोत्री
Image Source: abplive

महात्मा गांधी ने इस गीत पर कहा कि वंदे मातरम् हमारे देश की आत्मा है.

Published by: गौरव अग्निहोत्री
Image Source: abplive

1947 के बाद इसे जन गण मन के साथ राष्ट्रगीत का भी दर्जा मिला.

Published by: गौरव अग्निहोत्री
Image Source: abplive

आज 150 वर्ष बाद भी वंदे मातरम् भारत की राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है.

Published by: गौरव अग्निहोत्री
Image Source: abplive