जो शुद्धता और पवित्रता के लिए समर्पित है.
खीर और ठेकुआ जैसे विशेष प्रसाद बनाती हैं.
बाद यह प्रसाद ग्रहण करती हैं.
का कठोर निर्जला व्रत शुरू हो जाता है.
सात्विकता और पवित्रता का प्रतीक होता है.
छठी मैया घर में प्रवेश करती हैं.
स्वास्थ्य और परिवार में समृद्धि लाता है.
शुरू कर देती हैं और मन को पूजा में लगाती हैं.
पूजा पूर्ण होने के बाद ही किया जाता है.