और वृद्धि के लिए देवी षष्ठी को उत्पन्न किया था.
तो उनके छठे अंश को ही छठी मैया के रूप में जाना गया.
इसीलिए छठ पूजा में सूर्य देव के साथ-साथ उनकी भी पूजा होती है.
व्रती संतान के लिए भी इस व्रत का अनुष्ठान करते हैं.
अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्राप्ति के लिए उनकी आराधना की जाती है.
द्रौपदी के साथ यह व्रत किया था.
बाद इस व्रत की परंपरा शुरू हुई.
को होती है, इसलिए इसे ’सूर्य षष्ठी’ भी कहते हैं.
और प्रकृति के छठे अंश के रूप में बताया गया है.