काबा इस्लाम का सबसे पवित्र स्थल है,

जो सऊदी अरब के मक्का में मस्जिद अल-हरम के केंद्र में स्थित एक घनाकार इमारत है.

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इसे इस्लाम का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है और

दुनिया भर के मुसलमान अपनी नमाज काबा की ओर रुख करके अदा करते हैं.

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हर साल हज तीर्थयात्रा के दौरान लाखों मुसलमान 'तवाफ' करते हैं.

तवाफ नामक रस्म में इसकी सात बार परिक्रमा की जाती है.

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मुसलमान काबा के काले पत्थर (हज-ए-असवद) को चूमते हैं.

ऐसा माना जाता है कि यह जन्नत से आया है. इस वजह से मुसलमान काबा के पत्थर को चुमते हैं.

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मुसलमानों का मानना है कि यह पत्थर जन्नत से आया है,

यह पत्थर पूजा करने के लिए नहीं, बल्कि पैगंबर मुहम्मद के प्रति सम्मान दिखाने और अल्लाह के प्रति समर्पण व्यक्त करने का एक तरीका है.

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काले पत्थर को छूना या चूमना पैगंबर मुहम्मद की सुन्नत है,

जो अपने गुनाहों से माफी पाने की उम्मीद के साथ किया जाता है.

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हदीस के अनुसार, इस पत्थर में एक जीभ और होंठ हैं और जो कयामत

के दिन उस व्यक्ति की गवाही देगा जिसने सच्चे दिल से इस पत्थर को छूआ होगा और माफी मांगी होगी.

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यह मुसलमानों के लिए श्रद्धा,

एकता और ईमान का प्रतीक माना जाता है.

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पैगंबर मुहम्मद ने अपने जीवनकाल में केवल एक बार हज किया था,

जो विदाई हज के नाम से जाना जाता है.

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