लाखों आकाशगंगाओं से मिलकर ब्रह्मांड का निर्माण होता है.
हिन्दू धर्म के अनुसार ईश्वर की उपस्थिति से ही ब्रह्मांड निर्मित और भस्म होते हैं.


इस पूरे ब्रह्मांड का स्वामी कौन है, इस पर कई अलग-अलग मत हैं.
ब्रह्म देव को सृष्टि को रचने वाला देवता माना जाता है.


ब्रह्म देव की उत्पत्ति भगवान नारायण के नाभिकमल से हुई थी.
ब्रह्मा को हमारी सृष्टि में जीवों की उत्पत्ति का पिता माना जाता है.


ब्रह्मांड में सबसे शक्तिशाली भगवान विष्णु और शिव को माना जाता है.
शिव ही विश्व का कल्याण करते हैं, सृष्टि के कण-कण में उनका वास है.


भगवान विष्णु को पूरे ब्रह्मांड का पालनहार स्वामी माना जाता है.
यह सम्पूर्ण विश्व भगवान विष्णु की शक्ति से ही संचालित है.


शिव शब्द का मूल भाव होता है कल्याण, सुख व आनंद.
भगवान शिव अनंत काल के प्रतीक हैं.


शंकर जी योगी हैं जो ध्यान- साधना के द्वारा स्वयं को ब्रह्ममय बनाते हैं.
आत्मा, ईश्वर ,ब्रह्म, शिव एक दूसरे के पर्यायवाची हैं. यह ब्रह्मांड का स्वामी होता है.


मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग एक विशाल लौकिक अंडाशय है.
इसका अर्थ ब्रह्माण्ड होता है, इसे ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है.


शिव ने ब्रह्मा और विष्णु दोनों को अपने परम तेजस्वी दिव्य स्वरुप का दर्शन दिया था.
पुराणों के अनुसार, शिव ने यह ज्ञान दिया कि वह ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं.


शास्त्रों के अनुसार ईश्वर ने सृष्टी की उत्पत्ति, पालन और प्रलय, यह तीनों कार्य बांट रखे हैं.
इसके लिए उन्होंने स्वयं को ब्रह्मा, विष्णु और शिव के रूपों में विभक्त कर रखा है.