जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर के आखिरी समय में बहुत दुखद घटनाएं घटीं. अकबर की मां हमीदा बानू बेगम, उनके बेटे मुराद और दानियाल और नौरत्नों में से एक बीरबल की मृत्यु हो गई थी.
अकबर के आखिरी के दिनों का जिक्र अकबरनामा में किया गया है.
इनायतुल्ला ने अकबरनामा में लिखा कि 22 सितंबर, 1605 को अकबर के पेट में दर्द उठा और फिर उनकी तबीयत खराब होती चली गई.
हकीम भी उनकी बीमारी का पता ना लगा सके, जिसकी वजह से उनका इलाज भी नहीं हो पा रहा था.
अकबरनामा में इनायतुल्ला ने लिखा कि जब अकबर बीमारी के शुरू के दिनों मे रोजाना दरबार में आते थे क्योंकि वो नही चाहते थे कि उनकी प्रजा को ये पता चले कि उनकी तबीयत बहुत खराब है.
इनायतुल्ला ने ये भी लिखा कि 10 दिनों के अंदर ही बादशाह की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई. वे बिस्तर से नहीं उठ पा रहे थे जिसके बाद 27 अक्तूबर, 1605 को अकबर की मृत्यु हो गई.
इनायतुल्ला ने अकबरनामा में बताया कि अकबर अपने आखिरी दिनों में काफी निराश रहते थे. उन्हें मलाल था की अपनी मां हमीदा बानू के अंतिम समय में वह उनसे बात नहीं कर पाए. हमीदा बानू की मृत्यु 29 अगस्त, 1604 को हो गई थी.
हमीदा बेगम के देहांत के बाद अकबर की अपने प्रशासन में दिलचस्पी कम होने लगी. उन्होंने अपना साफा उतार दिया, बाल और मूंछ भी मुंडवा दिए.
एस. एम. बर्क ने अपनी किताब अकबर द ग्रेट मुगल में लिखा कि अकबर के जीवन का सबसे बड़ा दुख यह था कि वे एक नाकामयाब पिता बने.
बर्क ने अपनी किताब में लिखा कि सलीम के 2 बेटे उम्र से पहले ही शराब की बुरी लत के कारण मर गए और अकबर के तीसरे बेटे सलीम ने उनके साथ बगावत कर दी थी. अकबर के चहेते बीरबल को भी कबाइलियों ने मार दिया जिसके बाद बादशाह ने 2 दिनों तक ना कुछ खाया और ना पिया.