मुगल शासक औरंगजेब ने कैसे छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी की ली थी जान, चलिए जानते हैं पूरी कहानी.
शिवाजी: इंडियाज ग्रेट वॉरियर किंग के लेखक वैभव पुरंदरे बताते हैं कि औरंगजेब ने संभाजी को 15 दिनों तक टॉर्चर किया था. हर रोज उनके साथ बेरहमी की गई.
वैभर पुरंदरे ने बताया कि शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद संभाजी को छत्रपति बना दिया गया. इस बात से औरंगजेब खुश हुआ क्योंकि उसे लगा कि अब वह मराठों पर राज कर पाएगा.
औरंगजेब ने 1689 में दक्कन पर कब्जा करने के लिए हमला किया, लेकिन संभाजी उसके सामने डंटकर खड़े थे. औरंगजेब ने संभाजी को कैद कर लिया और फिर उनको बहुत टॉर्चर किया. उसने संभाजी की आंखें निकालने का हुक्म दिया और उनके हाथ भी तुड़वा दिए.
औरंगजेब ने हुक्म दिया कि संभाजी के हाथों और पैरों में जंजीर बांधकर पूरे नगर में कैदियों की तरह घुमाया जाए.
वैभव पुरंदरे ने यह भी बताया कि संभाजी को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया.
संभाजी ने इस्लाम कबूल करने से मना कर दिया जिसके बाद उन्हें मार दिया गया.
संभाजी का खून करने के बाद भी औरंगजेब को संतुष्टि नहीं मिली. उसने ये आदेश दिया कि संभाजी के कटे हुए सिर को पूरे नगर में घुमाया जाए और लोगों को बताया जाए कि औरंगजेब ने मराठों के राजा का क्या हाल किया है.
वह यह संदेश देना चाहता था कि जो भी उसके खिलाफ खड़ा होगा तो उसका क्या हश्र किया जाएगा.
मराठों को जब पता चला कि संभाजी की औरंगजेब ने ये दुर्दशा की है, तो मराठे इतने गुस्सा हुए. वे औरंगजेब से इस तरह लड़े कि औरंगजेब की हार हो गई और दक्कन में ही औरंगजेब ने अपने प्राण त्याग दिए.