मुगलों और महाराणा प्रताप की लड़ाई के किस्से हमेशा से चर्चा में रहे हैं.

जंगल में रह कर महाराणा प्रताप का बदन भी लोहे का हो गया था

तो अकबर भी अपनी सेना को लेकर हमेशा आत्मविश्वासी रहा करता था

हल्दीघाटी के युद्ध के बाद अब बारी थी दिवेर की

इस लड़ाई में महाराणा प्रताप अकेले नहीं थे उनका बेटा कुंवर अमर सिंह भी उनके साथ था

साल 1582 दशहरे का दिन था,कुंभलढ़ किले से 50 किमी दूर कमांडर सुल्तान ने मुगलों की कमान संभाली हुई थी

राजपूत टुकड़ी के साथ अमर सिंह ने मुगलों पर धावा बोला

ऐसे में मुगल सेना के पांव उखड़ गए

अमर सिंह की सेना की जीत हुई

और अमर सिंह ने यह जीत अपने पिता के नाम की