तमिलनाडु में इरूला नाम की जनजाति रहती है

इस जनजाति के लोग सांप का जहर निकालने का काम करते हैं

फिर इसी जहर से वैज्ञानिक जहर काटने की दवा बनाते हैं

तमिलनाडु में इस जनजाति के एक लाख लोग रहते हैं

पहले ज्यादातर लोग सांपों का जहर निकालने का काम करते थे

लेकिन अब ये लोग ये काम छोड कर दूसरा काम करने लगे हैं

1978 में इरूला स्नेक कैचर्स इंडस्ट्रियल कोऑपरेटिव सोसायटी बनी थी

जिससे ये अधिकारिक तौर पर सांपों का जहर निकालने का काम करने लगें

पहले इस काम में 11 लोग जुड़े थे, इसके बाद ये तादाद बढ़ने लगी थी

इस जनजाति की महिलाएं भी इस काम को किया करती थी