हर मुसलमान को जकात देना जरूरी होता है

अपनी हैसियत के हिसाब से हर मुसलमान को जकात देनी होती है

आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है

उसका 2.5 फीसदी हिस्सा किसी गरीब या जरूरतमंद को जकात के रूप में दिया जाता है

ज्यादातर मुसलमान रमजान के महीने में ही जकात देते हैं

जकात गरीबों, विधवाओं, अनाथ बच्चों या किसी बीमार व कमजोर व्यक्ति को दी जाती है

जिन लोगों के पास ज्यादा संपत्ति होती है

वह लोग उस हिसाब से जकात देते हैं

अगर किसी परिवार में 4 सदस्य हैं और चारों कमाते हैं

तो सभी का फर्ज जकात देना होता है.