देश में 11 मार्च 2024 को सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून लागू किया गया

इससे तीन पड़ोसी देशों में फंसे गैर-मुस्लिमों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता खुल गया

अब सवाल उठता है कि सीएए में मुस्लिमों को क्यों शामिल नहीं किया गया

केंद्र सरकार का तर्क है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान मुस्लिम बहुल देश हैं

ऐसे में वहां गैर-मुस्लिमों को धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है

इन तीनों पड़ोसी देशों में गैर-मुस्लिमों को नागरिकता बेहद मुश्किल से मिलती है

ऐसे गैर-मुस्लिमों के लिए भारत ने सीएए कानून बनाया है

इन गैर-मुस्लिमों में हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं

सीएए की कटऑफ डेट 31 दिसंबर 2014 तय की गई है

सीएए के तहत नागरिकता हासिल करने की प्रक्रिया के लिए पोर्टल बनाया गया है