असली पश्मीना को छूते ही उसकी नरमाहट और हल्कापन महसूस होता है। यह बेहद मुलायम, हल्का और स्किन-फ्रेंडली होता है

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इसे अपने गाल या गर्दन पर रखकर महसूस करें कि यह कितना नरम है, अगर यह खुरदरी या कठोर लगे तो वह नकली हो सकती है

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असली पश्मीना थोड़े नेचुरल और अनियमित दिखते हैं, क्योंकि शॉल के किनारे के धागे सीधे बुनाई से हाथ से मोड़े जाते हैं

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असली पश्मीना शॉल पर कढ़ाई और डिजाइन पूरी तरह से हाथ से की जाती है, इसमें बहुत बारीक और महीन काम होता है

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असली पश्मीना की बुनावट महीन और थोड़ी ढीली होती है, उसे उंगलियों के बीच रगड़कर देखें

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वहीं नकली मशीन से बनने वाली ऊन से बना होता है, जो छुने पर ठंडा और सिंथेटिक सा महसूस होगा

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असली पश्मीना एनिमल फाइबर से बनी होती है. अगर इसका धागा जलाया जाए, तो इसकी खुशबू जले हुए बाल जैसी आती है

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नकली शॉल प्लास्टिक या सिंथेटिक सामग्री से बनी होती हैं, जो जलने पर प्लास्टिक जैसी गंध देती हैं और पिघल जाती हैं

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कश्मीर से आई असली पश्मीना शॉल पर GI (Geographical Indication) टैग होता है

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असली पश्मीना शॉल सस्ती नहीं मिलती है, यह कम से कम कम से कम 6000 से 15000 रुपये तक का होता है

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