जिस तरह वाहन और अन्य चीजों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण होता है

उसी तरह एयर ट्रैफिक से भी ग्रीन हाउस गैसों में इजाफा होता है

आइए समझते हैं ये कैसे ग्रीन हाउस प्रभाव को बढ़ा रहे हैं

उड़ान के दौरान प्लेन का फ्यूल जलने पर बनने वाले कॉन्‍ट्रेल्‍स में केरोसिन होता है

ज्यादा ऊंचाई पर तापमान कम होने से ये हवा में बर्फ के क्रिस्‍टल्‍स बन जाते हैं

ग्रीन हाउस गैसों की तरह ही ये कंट्रेल्स
भी वायुमंडल में गर्मी को रोक लेते हैं


ये कॉन्ट्रेल्स कार्बन डाइऑक्साइड से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं

जिससे एयर ट्रैफिक का क्लाइमेट पर बुरा असर पड़ता है

इसे रोकने के लिए उड़ान के दौरान प्लेन की ऊंचाई कम करनी होगी

इसके अलावा बायो केरोसिन भी एक विकल्प है