हर साल ओड़िशा के पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है.
10 दिन के लिए जगन्नाथ जी गर्भ ग्रह से बाहर निकलते हैं.


जगन्नाथ मंदिर में हर 12 साल बाद एक खास परंपरा
निभाई जाती है जिसका नाम है 'नवकलेवर'.


इसमें जगन्नाथ जी, बलभद्र, सुभद्रा माता की मूर्तियों
को बदला जाता है.


कहते हैं कि ये प्रतिमाएं लकड़ी से बनाई जाती हैं और वे
खंडित न हों इस वजह से उन्हें बदला जाता है.


जब यह पवित्र अनुष्ठान शुरू होता है, उस दौरान पूरे शहर
की लाइट को बंद करवा दिया जाता है.


ये अनुष्ठान करते समय पुजारी की आंखों पर भी पट्‌टी बंधी
होती है. इसे बेहद गोपनीय रखा जाता है.


इस प्रक्रिया को करते समय किसी की नजर उसपर नहीं पड़नी चाहिए.
ऐसा होने पर उसका जीवन संकट में आ सकता है.


दरअसल ऐसा इसलिए क्योंकि कहते हैं कि जगन्नाथ जी की मूर्ति में
आज भी ह्रदय धड़कता है.