श्रीकृष्ण को विष्णु और राधा रानी को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है.



कृष्ण के प्रेम में पड़ी राधा रानी आजीवन किशोरावस्था (कुंवारी) में ही रहीं.



ऋषि अष्टावक्र ने राधा रानी को आजीवन किशोरी रहने का वरदान दिया था.



एक बार ऋषि अष्टाव्रक बरसाना गए थे, उनके टेढ़े-मेढ़े अंग को देखकर लोग हंसते थे.



लेकिन राधारानी ने कहा कि, मुझे आपके भीतर परमात्मा के दर्शन हो रहे हैं.



राधा की बात से प्रसन्न होकर ऋषि अष्टाव्रक ने उन्हे आजीवन किशोरी रहने का वरदान दिया.



आजीवन कुंवारी रहने के कारण ही राधा रानी को ‘किशोरी जी’ कहा जाता है.



राधारानी का यह नाम भक्त बहुत ही श्रद्धापूर्वक से लेते हैं.