व्यक्ति के कर्म का फल और कई बार ग्रहों की अशुभ
स्थिति उनके अकाल मृत्यु का कारण बनती हैं.


अकाल मृत्यु के लिए मुख्य रूप से शनि, मंगल, राहु
और केतु जैसे ग्रहों को जिम्मेदार माना जाता है.


राहु-केतु ग्रह अष्टम भाव में या अन्य अशुभ भावों
में स्थित होने पर अकाल मृत्यु के योग बनाते हैं.


कुंडली में जब मंगल दूसरे, सातवें या आठवें भाव में
हो और उस पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि होती है.


ऐसी स्थिति में व्यक्ति की आग लगने से मृत्यु होने का
खतरा रहता है.


राहु और मंगल ग्रह की युति या फिर समसप्तक होकर एक
दूसरे को देखना भी जातक की अकाल मृत्यु का कारण होता है.


अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है, इसके लिए रोजाना
108 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें.


पितरों का नियमित रूप से तर्पण, श्राद्ध कर्म करते रहें. दान
दें