ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी होती है.

इसे भीमसेनी एकादशी, पांडव एकादशी या मोक्षदायिनी एकादशी भी कहते हैं.

निर्जला एकादशी को साल की सबसे बड़ी एकादशी कहा जाता है.

क्योंकि इस एक एकादशी के व्रत से सभी एकादशी व्रतों का पुण्य मिल जाता है.

आज 6 जून 2025 को निर्जला एकादशी का व्रत रखा गया है.

निर्जला एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण और कठिन माना जाता है.

क्योंकि इस व्रत में अन्न-जल ग्रहण करना वर्जित होता है.

लेकिन कठिन के साथ ही निर्जला एकादशी
पुण्यकारी भी मानी जाती है.


निर्जला एकादशी व्रत से सभी मनोकामना पूरी होती है और मोक्ष प्राप्त होता है.