चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन के बिना माता की आराधना
अधूरी मानी जाती है.


नवरात्र की अष्टमी या नवमी पर कन्या पूजन का विधान है.
9 कन्याओं को मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है.


कन्या पूजन में 2 से 10 साल की कन्याओं के साथ एक
लंगूर (बालक) को भी आमंत्रण दें.


सबसे पहले कन्याओं के पैर धोकर उन्हें स्वच्छ
आसन पर बैठाएं. कुमकुम टीका, अक्षत लगाएं.


कन्या पूजन मंत्र - या देवी सर्वभूतेषु 'कन्या' रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।


कन्याओं को पूड़ी, काले चने, नारियल और हलवे को भोग
के रूप में खिलाना चाहिए.


कन्या पूजन के बाद उपहार में उन्हें चूड़ी, बिंदी, चुनरी,
नए वस्त्र, श्रृंगार सामग्री देना चाहिए.


कंजक को काल वस्त्र, नुकीली वस्तु या कांच का सामान
नहीं देना चाहिए.