सावन में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए लोग
पवित्र कांवड़ यात्रा पर जाते हैं.


कांवड़ यात्रा का शुरुआत सावन के पहले दिन होती है और
समापन सावन शिवरात्रि पर होता है.


कांवड़ यात्रा के समय कांवड़ियों को कड़े नियम पालन करना
होते हैं इसमें से एक है जल भरी कांवड़ का ध्यान रखना.


कावड़ मार्ग पर गुल्लर के पेड़ आ जाएं तो वहां से हटकर
निकलना चाहिए. ऐसा न करने पर कांवड़ खंडित हो सकती है.


अगर कांवड़ किसी कारणवश खंडित हो जाए तो अपनी कावड़
के साथ पवित्र स्थान पर बैठकर 108 बार नम: शिवाय: का जाप करें.


भगवान शिव और गुल्लर कंपेड को प्रणाम करें और फिर आगे बढ़ें.
इससे कांवड़ शुद्ध होने की मान्यता है.


कावड़ को चमड़े से स्पर्श नहीं होने देना चाहिए. साथ ही बिना नहाए
इसे छुए नहीं.


इस साल कांवड़ यात्रा 11 जुलाई से शुरू होकर 23 जुलाई को समाप्त होगी.