तुम्हारा मन ही तुम्हारी दुनिया की रचना करता है.



नकारात्मक सोचने वाला व्यक्ति नर्क को खुद ही पैदा करता है.



विचार सिर्फ विचार नहीं होते, वे तुम्हारे भविष्य के बीज होते हैं.



जैसे बीज बोओगे, वैसा ही जीवन काटोगे-यह जीवन का गूढ़ विज्ञान है.



जो तुम सोचते हो, वही तुम बन जाते हो, यह कोई कल्पना नहीं, ऊर्जा का नियम है.



चेतन होकर सोचो, अवचेतन को बदलना शुरू हो जाएगा.



प्रेम, ध्यान और मौन में डूबे विचार तुम्हें स्वतंत्र बनाते हैं.



तुम जैसे सोचते हो, वैसे ही लोगों को अपने जीवन में आकर्षित करते हो.



ध्यान का अर्थ है विचारों को देखना, पहचानना, और फिर उनसे ऊपर उठ जाना.



सोच का शुद्धिकरण ही आत्मा की यात्रा का पहला कदम है.