दिल्ली में भूकंप के फिर झटके महसूस किए गये, भूकंप का असर दिल्ली
एनसीआर के साथ बिहार, ओडिशा तथा बंग्लादेश में भी असर देखा गया


भारतीय वैदिक ज्योतिष में भूकंप की भविष्यवाणी करने की परंपरा पुरानी रही है.
ज्योतिष ग्रंथ के नारद संहिता और मयूर चित्रक में भूकंप के योग के बारे में चर्चा मिलती है


ज्योतिष के अनुसार भूकंप के पीछे मंगल की भूमिक अहम होती है
लेकिन यही एक मात्र ग्रह धरती को हिलाने के लिए काफी नहीं है


शनि ग्रह भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं.विशेष बात ये है
आने वाले दिनों में इन दोनों ही ग्रहों की चाल में बदलाव हो रहा है


17 फरवरी को तड़के सुबह में भूकंप के झटके महसूस किए गए
24 फरवरी को मिथुन राशि में मंगल 80 दिनों बाद मार्गी हो रहे हैं


28 फरवरी को शनि अस्त हो रहे हैं, देखा गया है जब-जब इन ग्रहों के स्थितियों
परिवर्तन होता है तब-तब इस तरह की घटनाओं के होने की संभावना बढ़ जाती है


भूकंप का ग्रहण से भी संबंध है, ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण या ग्रहण लगने वाला हो तो उसके 40 दिन
पहले और 40 दिन बाद यानी 80 दिनों के अंतराल में भूकंप आने की संभावना होती है.


ज्योतिष के अनुसार साल 2025 का पहला 29 मार्च को लग रहा है
इस दिन शनि का राशि परिवर्तन भी हो रहा है


ग्रहण के पहले या बाद में आए भूकंप के कई तथ्य भी मिलते हैं.
22 मार्च 2023 को भी भूकंप आया था और 20 अप्रैल 2023 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था.


बृहत् संहिता ग्रंथ के 32वें अध्याय में ‘भूकंप लक्षण’ में बताया गया है कि,
भूकंप आने से पहले आसमान में चारों ओर धुंआ, धूल भरी आंधी,


सूर्य की किरणों का धीमा पड़ना, तारे टूटना, उल्का पात,
जंगल में आग लगने आदि जैसे संकेत नजर आने लगते हैं.