जीवन में केवल अपने कर्मों पर ध्यान दें, फल की चिंता किए बिना.



जब-जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं (श्री हरि) प्रकट होता हूं.



क्रोध करने से हमारे निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होती है.



मनुष्य अपने विश्वास से बनता है, इसलिए अपने प्रति नकारात्मक सोच न रखें.



जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है अच्छा हो रहा है, जो होगा अच्छा होगा.



अपनी गलतियों को स्वीकार करना सीखें.



आत्म को किसी भी शस्त्र से मारा नहीं जा सकता.



दूसरों के प्रति अच्छा सोचोगे, तभी तुम्हारा अच्छा होगा.



अपनी योजना को तब तक किसी को मत बताओ जब तक वो पूरी न हो जाए.