सभी फलों में बाबूगोशा बेहद रसीला और त्रिदोष नाशक होता है.



आयुर्वेद के अनुसार ये वात, पित्त और कफ को संतुलित रखने में मददगार साबित होता है.



यह फल शरीर को अंदर से शुद्ध कर बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है.



यह फल शरीर को अंदर से शुद्ध कर बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है.



ऋषि-मुनि अपनी तपस्या के बाद इसका फलाहार करते थे.



इस फल के सेवन से मन, आत्मा और चित्त शांत होती है.



आध्यात्मिक साधना में इस फल का सेवन इंद्रियों पर काबू रखने में मदद करता है.



इस फल के नियमित सेवन से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकलते हैं.



बाबूगोशा के सेवन से शरीर सक्रिय रहता है.



इसके नियमित सेवन से शरीर मजबूत होता है.