मार्गशीर्ष की पूर्णिमा पर हर साल

अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है.

देवी अन्नपूर्णा के रूप में मां पार्वती ने

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर अवतरण लिया था.

लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर क्यों

पार्वती को लेना पड़ा यह रूप.

शिव ने एक बार पार्वती से कहा कि, संसार में

अन्न और जीवन केवल माया है.

शिव को अन्न का महत्व समझाने के लिए पार्वती ने

संसार से अन्न समाप्त कर दिया.

पृथ्वी पर अन्न का अकाल पड़ गया और सभी

भूख से व्याकुल होने लगे.

मां पार्वती ने अन्नपूर्णा अवतार लिया,

उनके हाथ में अन्न का अक्षय पात्र था.

लोगों की रक्षा के लिए शिव अन्नपूर्णा के पास पहुंचे

और अन्न की भिक्षा मांगी.

साथ ही शिव ने स्वीकार किया कि संसार x

साथ ही शिव ने स्वीकार किया कि संसार में अन्न का विशेष महत्व है.

तब से भोजन, पोषण व अन्न की देवी के रूप में

मां अन्नपूर्णा की पूजा होता है.