अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर अवतरण लिया था.
पार्वती को लेना पड़ा यह रूप.
अन्न और जीवन केवल माया है.
संसार से अन्न समाप्त कर दिया.
भूख से व्याकुल होने लगे.
उनके हाथ में अन्न का अक्षय पात्र था.
और अन्न की भिक्षा मांगी.
साथ ही शिव ने स्वीकार किया कि संसार में अन्न का विशेष महत्व है.
मां अन्नपूर्णा की पूजा होता है.