Year Ender 2025: दिसंबर का आखिरी महीना चल रहा है. और इसी के साथ साल 2025 अपने खात्मे की ओर बढ़ता जा रहा है. इस साल सरकार की ओर से नौकरीपेशा लोगों के लिए बहुत से ऐसे नियमों में बदलाव किया गया. जो उनके लिए बड़ी राहत बनकर आए. आज की सैलरी–लाइफ में टैक्स बचत की अहमियत हर कोई समझता है और यही वजह है कि 2025 के बदलाव लोगों की जेब में सीधा असर डाल रहे हैं. 

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इनकम टैक्स स्लैब से लेकर जीएसटी स्ट्रक्चर और टोल खर्च, तीनों में हुए बदलावों ने मिडिस क्लास की फाइनेंशियल प्लानिंग को ज्यादा हल्का और आसान बना दिया है. तो इसके अलावा साल के जाते-जाते सरकार ने ग्रेच्युटी को लेकर भी बड़ा बदलाव कर दिया. जानें क्या-क्या राहतें मिली हैं इस साल. 

इनकम टैक्स में बड़ा फेरबदल

सरकार ने इस बार जो सबसे बड़ा बदलाव किया. वह इनकम टैक्स रिजीम में रहा. नई व्यवस्था के तहत बेसिक टैक्स–फ्री लिमिट 7 लाख से बढ़ाकर 12 लाख कर दी गई. इसके ऊपर नौकरीपेशा लोगों को मिलने वाले 75000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को जोड़ दिया जाए. तो कुल टैक्स–फ्री लिमिट सीधे 12.75 लाख पर पहुंचती है. 

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सैलरी बढ़ने के बाद जो इनकम टैक्स कट जाता था, अब वह पूरी तरह जेब में बचेगा. इससे EMI, इन्वेस्टमेंट, बीमा या सेविंग जैसे प्लान बनाना कहीं आसान हो जाता है. यह बदलाव खासतौर पर उन लोगों के लिए राहत है जिनका पैकेज 10 से 13 लाख रुपये के बीच है और जिन्हें पहले भारी टैक्स देना पड़ता था.

GST खर्च हुआ हल्का

टैक्स सुधारों का दूसरा बड़ा हिस्सा जीएसटी 2.0 रहा, जिसने रोजमर्रा की खरीदारी को और किफायती बना दिया. जीएसटी स्लैब को पहले की चार कैटेगरी की जगह सिर्फ दो में सीमित किया गया है. अब सामान पर या तो 5 प्रतिशत लगेगा या 18 प्रतिशत. लग्जरी कैटेगिरी को छोड़ दें तो आम उपभोक्ता की टोकरी में आने वाली लगभग 413 वस्तुओं पर टैक्स कम हुआ है. गाड़ी खरीदने वालों को भी बड़ा फायदा मिला है. 1200 सीसी तक की पेट्रोल कारें, 1500 सीसी तक की डीजल कारें और 350 सीसी तक की बाइक्स अब 28 प्रतिशत की जगह सिर्फ 18 प्रतिशत जीएसटी पर आती हैं.

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टोल में मिली राहत

टोल टैक्स में बदलाव ने रोड ट्रैवल को बेहद सस्ता कर दिया है. नया एनुअल फास्टैग पास सिर्फ 3000 रुपये में मिलने लगा है.और इससे लगभग 200 टोल प्लाजा पार किए जा सकते हैं. इसका मतलब है कि एक टोल पार करने की लागत औसतन लगभग 15 रुपये के आसपास रह जाती है. रोज आने–जाने वाले लोगों के लिए यह खर्च पहले की तुलना में काफी कम हो गया है.

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ग्रेच्युटी का इंतजार खत्म

लेबर कोड के तहत ग्रेच्युटी नियमों में हुआ बदलाव नौकरीपेशा लोगों के लिए एक और राहत है. पहले ग्रेच्युटी पाने के लिए 5 साल की नौकरी जरूरी थी. लेकिन अब महज 1 साल काम करने के बाद कर्मचारी इसका हकदार बन जाएगा. इससे नौकरी बदलने वाले या शुरुआती करियर वाले कर्मचारियों को भी बड़ा लाभ मिलेगा और उनकी फाइनेंशियल सिक्योरिटी मजबूत होगी.

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