जब भी कोई लोन लेता है तो उसे लोन के लिए गारंटी के तौर पर लोन गारंटर की भी आवश्यकता होती है. तभी जाकर सफलतापूर्वक लोन मिल पाता है. लोन लेना एक बेहद कड़ी प्रक्रिया होती है. और इसमें कई सारे मापदंड देखे जाते हैं. हर कोई किसी का लोन गारंटर नहीं बनता. कोई भरोसेमंद व्यक्ति ही इस कार्य के लिए आगे आता है. क्योंकि लोन गारंटर की भी लोन दिलाने के बाद जिम्मेदारी बढ़ जाती है. अगर लोन लेने वाले व्यक्ति ने लोन नहीं चुकाया तो फिर लोन गारंटर के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है. आइए जानते हैं पूरी खबर.


लोन गारंटर को भरने होंगे पैसे


अगर आप किसी के लोन गारंटर बनाकर उसे लोन दिलवाते हैं. और वह व्यक्ति लोन चुकाने में असफल हो जाता है. तो ऐसे में आपके लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती. इसके लिए इंडियन कांट्रैक्ट एक्ट के 128 के तहत लोन लेने वाले  व्यक्ति का गारंटर के साथ एक तरह से को एप्लिकेंट होता है. जब तक कि कॉन्ट्रैक्ट में कुछ अलग से क्लोज ना जोड़े गए हो. यानी की अगर लोन लेने वाले व्यक्ति ने लोन नहीं चुकाया तो लोन के बाकी पैसे और ब्याज चुकाने की जिम्मेदारी गारंटर की होती है. 


ऐसे में क्या करे गारंटर?


सबसे पहले तो गारंटर को उस व्यक्ति का गारंटर बनना चाहिए जिसे वह अच्छे जानता हो. ताकि अगर बाद में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो एक सूझबूझ बिठाकर उससे बाहर निकला जाए. अगर आप किसी दोस्त के लोन के गारंटी बनते हैं या किसी रिश्तेदार के तो समय-समय पर उनसे लोन के बारे में पूछते रहा करें क्या वह समय पर उसकी किश्ते भर रहे है कि नहीं.


अगर कोई लोन नहीं चुकाता तो इससे गारंटर का सिविल स्कोर भी खराब होता है. और भविष्य में उसे लोन मिलने की संभावनाएं कम होती जाती हैं. बता दें कि गारंटर के पास इंडियन कांट्रैक्ट एक्ट के तहत यह अधिकार होता है कि वह लोन लेने वाले व्यक्ति के खिलाफ केस कर सके और खुद को इस स्थिति से बचा सके.


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