Property Sharing Rules: टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज खेलने के लिए भारत से ऑस्ट्रेलिया रवाना हो चुके हैं. विराट कोहली पिछले साल अपने परिवार के साथ लंदन में शिफ्ट हो गए थे और इस बार वह ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले लंदन से दिल्ली पहुंचे. दिल्ली में उन्होंने पहले अपने गुड़गांव स्थित घर का दौरा किया और फिर तहसील पहुंचे जहां उन्होंने अपनी गुड़गांव की प्रॉपर्टी अपने बड़े भाई विकास कोहली के नाम कर दी.

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उन्होंने यह जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) के जरिए किया. यानी कानूनी रूप से संपत्ति के प्रबंधन का अधिकार अब उनके भाई के पास है. ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि क्या कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति अपने भाई के नाम कर सकता है और क्या उसके बच्चे ऐसे फैसले पर आपत्ति जता सकते हैं. चलिए आपको बताते हैं कानून इस बारे में क्या कहता है.

भाई के नाम प्रॉपर्टी की जा सकती है?

कानून के मुताबिक अगर कोई संपत्ति पूरी तरह से किसी व्यक्ति के नाम पर है और वह उसकी सेल्फ-अक्वायर्ड प्रॉपर्टी है. तो वह उसे किसी को भी ट्रांसफर करने का पूरा अधिकार रखता है. चाहे वह संपत्ति अपने भाई, दोस्त, संस्था या किसी ट्रस्ट को देनी हो इसके लिए बच्चों या अन्य रिश्तेदारों की सहमति जरूरी नहीं होती. जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) के जरिए व्यक्ति किसी को अपनी संपत्ति के प्रबंधन का अधिकार दे सकता है. 

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लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि मालिकाना हक तुरंत ट्रांसफर हो गया. GPA धारक सिर्फ संपत्ति से जुड़े कानूनी प्रशासनिक या रखरखाव के काम कर सकता है. जब तक मालिक रजिस्ट्री या गिफ्ट डीड के जरिए मालिकाना हक ट्रांसफर नहीं करता. तब तक असली मालिक वही रहता है.

क्या बच्चे या परिवार कर सकते हैं विरोध?

अगर संपत्ति सेल्फ-अक्वायर्ड है तो बच्चे या परिवार के सदस्य उसके ट्रांसफर पर कोई कानूनी आपत्ति नहीं जता सकते. वह तभी विरोध कर सकते हैं जब संपत्ति पुश्तैनी ह  यानी परिवार की शेयर्ड संपत्ति हो. पुश्तैनी संपत्ति में सभी कानूनी उत्तराधिकारियों का बराबर का हक होता है और बिना उनकी सहमति के कोई भी सदस्य उसे किसी और के नाम नहीं कर सकता. वहीं अगर संपत्ति व्यक्ति की खुद की कमाई से खरीदी गई है.

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तो वह उसे अपनी मर्जी से बे  दान या ट्रांसफर कर सकता है. यानी विराट कोहली की तरह अगर कोई भाई अपनी निजी संपत्ति अपने भाई के नाम करता है. तो बच्चे या परिवार उस पर कोई दावा नहीं कर सकते. हां अगर भविष्य में GPA को गिफ्ट डीड या सेल डीड में बदला जाता है.  तो उसे कानूनी रूप से वैध बनाना जरूरी होगा ताकि विवाद की कोई गुंजाइश न रहे.

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