Law On Viral Video: आपने सोशल मीडिया पर बहुत से वीडियो वायरल होते हुए देखेंगे इनमें से कई वीडियो लोगों के प्राइवेट मोमेंट्स के होते हैं अक्सर जो वायरल हो जाते हैं. या दूसरे लोगों द्वारा उनकी मर्जी के खिलाफ जाकर कर दिए जाते हैं. साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने राइट टू प्राइवेसी प्राइवेसी को यानी निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना है.


और संविधान के अनुसार किसी के भी मौलिक अधिकार का हनन करना कानूनन जुर्म है. इसलिए अगर कोई भी किसी का पर्सनल वीडियो उसकी मर्जी के खिलाफ जाकर वायरल करता है. तो उसे कानून के तहत सजा भी हो सकती है और उसे जेल भी जाना पड़ सकता है. चलिए जानते हैं इस मामले में कितने साल की हो सकती है जेल. 


3 साल तक की हो सकती है जेल


भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत भारतीय नागरिकों को मौलिक अधिकार प्राप्त हुए हैं. जिनका इस्तेमाल करने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता. जिसमें अब राइट टू प्राइवेसी को भी मौलिक अधिकार माना गया है. यानी कोई भी ऐसा काम नहीं कर सकता है. जिससे किसी व्यक्ति की निजता खतरे में आए. ऐसा करने पर दंड का प्रावधान है. अगर कोई व्यक्ति किसी की मर्जी के खिलाफ जाकर उसका वीडियो बना लेता है.और फिर उसके मना करने पर भी उसे वायरल कर देता है.


तो उसे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम,2000 यानी आईटी एक्ट की धारा 66ई के तहत शारीरिक गोपनीयता का उल्लंघन करने का दोषी पाया जाता है. इस धारा के तहत कोई भी शख्स अगर गोपनीयता को भंग करने का दोषी पाया जाता है. तो उस पर कार्रवाई का प्रावधान है. यानी अगर किसी ने भी किसी की इजाजत के बिना उसका फोटो या वीडियो लिया है और उसे बाद में शेयर किया है तो उस पर इस धारा के तहत कार्रवाई हो सकती है. इस अपराध में 3 साल तक की जेल और 2 लाख तक का जुर्माना हो सकता है. 


फोटो से छेड़छाड़ की तो भी सजा


आईडी एक्ट के क्षेत्र 67 के अनुसार अगर किसी ने सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल करके आपकी फोटो के साथ छेड़छाड़ करके उसे अश्लील बनाने की कोशिश की तो इस पर भी कार्रवाई का प्रावधान है. ऐसा करने पर 3 साल जेल और 5 लाख रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है. तो वहीं आजकल डीप फेक के मामले भी काफी सामने आ रहे हैं. इस तरह की मामलों में सेक्शन 66C, 66E और 67 के तहत कार्रवाई की जा सकती है. 


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