Railway Compensation Claim: भारतीय रेलवे में रोजाना तकरीबन तीन करोड़ यात्री सफर करते हैं. यात्रियों की यह संख्या ऑस्ट्रेलिया जैसे देश के बराबर है. भारत में रोजाना कई हजार ट्रेने संचालित होती होती हैं. ट्रेने की इतनी बड़ी संख्या ट्रेन और यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा है. इस लिहाज से भारतीय से रेलवे अमेरिका,चीन और के रूस बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल व्यवस्था है.
लेकिन कभी कभार रेलेव द्वारा गलती के चलते हादसे हो जाते हैं. जिसमें लोगों की जान तक चली जाती है. ऐसे में अगर रेलवे की किसी प्रॉपर्टी से किसी ट्रेन यात्री की जान चली जाए. तो फिर उसे किस तरह मुआवजा मिल सकता है. कहां किया जा सकता है मुवाअजे के लिए क्लेम? चलिए जानते हैं पूरी खबर.
रेलवे अधिनियम के तहत मिलता है मुआवजा
अक्सर भारतीय रेलवे द्वारा संचालित ट्रेनों में तो भारतीय रेलवे के परिसरों में हादसे हो जाते हैं. हादसों में कई बार व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं तो कई बार उनकी जान तक चली जाती है. हादसे में सभी पीड़ित रेलवे की ओर से मुआवजे के हकदार होते हैं. लेकिन उन्हें किस तरह से मुआवजे के लिए आवेदन देना होता है, क्लेम करना होता है इस बात की ज्यादा जानकारी नहीं होती.
बता दें कि भारतीय रेल के रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 124 के तहत रेलवे द्वारा हुए किसी भी हादसे में पीड़ितों को रेलवे की ओर से मुआवजा देने का प्रावधान है अधिनियम की धारा एक 124 ए द्वारा यह तय किया गया है कि रेलवे परिसर में किसी प्रकार से भी किसी यात्री की मौत हो जाती है तो रेलवे उसका जिम्मेदार है और उसे मुआवजा देना होता है.
रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल किया जा सकता है क्लेम के लिए आवेदन
भारतीय रेलवे में पहले हादसा होने पर अगर किसी को मुआवजा लेना होता था. तो हादसे की जगह पर ही क्लेम के लिए आवेदन देना होता था. लेकिन रेलवे के नियमों में बदलाव हुआ और इसके बाद कोई भी पीड़ित व्यक्ति अपने क्षेत्रीय रेलवे पीठ में इसके लिए आवेदन दे सकता है. अगर किसी यात्री की रेलवे प्रॉपर्टी द्वारा मृत्यु हो गई है तो वह रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल में मुआवजा के लिए आवेदन दे सकता है.
इसके लिए उसे कुछ दस्तावेज साथ में जमा करने होते हैं. मृत्यु के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट. मेडिकल रिपोर्ट. तथा सर्टिफिकेट. नॉमिनी डीटेल्स घटना की तारीख और कुछ अन्य जानकारी सहित आरसीटी यानी रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल की पीठ में दावा करना होता है. बता दें कि भारत में अलग-अलग जगहों पर कुल 22 रेलवे क्लेम्स ट्रिब्युनल्स है. जहां मुआवजे के लिए दावा किया जा सकता है.
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